बीपी की समस्या है या पीड़ित होने की शंका है तो स्वयं डॉक्टर न बनें. यह जानलेवा हो सकता है. डॉक्टरों की सलाह लें.
आज के समय में अव्यवस्थित जीवन शैली और गलत खान-पान की आदत किसी भी इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसके कारण हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों के शिकार होने के बाद जाने-अनजाने में कई कदम ऐसे उठाते हैं, जिससे उनका किडनी, लीवर, हार्ट सहित शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग बर्बाद हो जाते हैं. इसके बाद इंसान कई जटिल रोगों का शिकार हो जाता है. खासकर हाइपरटेंशन की समस्या तब और भी जटिल हो जाती है जब समाज में फैली भ्रांतियां के कारण और सोशल मीडिया के अधूरे ज्ञान के कारण लोग स्वयं डॉक्टर बनकर दवाइयों को बंद कर देते हैं. एक-एक दिन छोड़कर दवा लेना प्रारंभ कर देते हैं. पीजीआई चंडीगढ़ ने हाल ही में हाइपरटेंशन को लेकर मरीजों के बीच सर्वे किया था. जिससे यह खुलासा हुआ कि लोगों में हाइपरटेंशन को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां है. पीजीआई चंडीगढ़ में कार्यरत डाइटिशियन क्लिनिक की हेड डॉ. नैन्सी साहनी ने भ्रांतियों के विभिन्न पहलुओं पर बात की.
डॉ. नैन्सी साहनी ने पीजीआई चंडीगढ़ में हाइपरटेंशन के 60 मरीजों पर किए गए एक सर्वे के आधार पर कई अहम जानकारी दी.
ब्लड प्रेशर को लेकर ये भ्रांतियां हैं, जो जानलेवा है
- मेडिसीन न लेने या डोज कम करने से बीपी कम होता है.
- रोजाना दवा नहीं लेना चाहिए, इससे आदत पड़ जाती है.
- सिर दर्द मतलब बीपी बढ़ गया है.
- बीपी की दवा लेने से किडनी खराब होता है.
- बीपी की दवा एक दिन छोड़कर एक दिन बाद लेना चाहिए.
- बिना डॉक्टरी सलाह के दवा बदला जा सकता है.
- अल्टरनेट दवा से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
डॉक्टर के अनुसार ये बातें भ्रांतियां नहीं हैं:
- बिना डॉक्टरी सलाह के दवा बंद करने या स्वयं अल्टरनेट दवा लेने से शरीर पर साइड इफेक्ट होता है.
- दवा बंद करने या कम करने से ब्लड शुगर लेवल, ब्लड ग्लूकोज लेवल या बीपी पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
- बीपी घटने-बढ़ने से हार्ट, किडनी, लीवर सहित शरीर के कई अंगों पर प्रभाव पड़ता है. कुछ केस में तात्कालिक तो कुछ में दीर्घकालिक प्रभाव होता है.
- डॉक्टरों की सलाह पर उचित डोज से किडनी-लीवर को नुकसान नहीं होता है. दवा बंद करने या डोज कम करने से किडनी लीवर खराब होने की संभावना होती है. मरीज की मेडिकल हिस्ट्री सहित अन्य कारकों पर प्रभाव निर्भर करता है.
- ब्लड शुगर, ब्लड ग्लूकोज लेवल और बीपी का सिस्टम काफी जटिल होता है. हर बार सिर्फ सर दर्द होना इसका लक्षण नहीं है. बीपी/हाइपरटेंशन के लक्षण काफी जटिल होते हैं. इसलिए हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर कहा जाता है. कई बार इंसान को पता ही नहीं होता है और अचानक से उसकी मौत हो जाती है.
घरेलू नुस्खा हो सकता है घातक: पीजीआई डाइटिशियन क्लिनिक के हेड डॉ. नैन्सी साहनी ने बताया कि सर्वे के दौरान लोगों ने हमें बताया कि वे अपने रोजाना के खान-पान में कम नमक का इस्तेमाल करते हैं. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि वे एक तरफ सफेद नमक का कम उपयोग करते हैं. दूसरी ओर सेंधा नमक और लाल नमक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके बावजूद भी उन्हें बीपी की समस्या है.
मीठे बिस्किट में भी होता है सोडियम:
डॉ. साहनी ने बताया कि उन्हें बीपी की समस्या इसलिए बनी हुई है क्योंकि वह सीधे नमक के अलावा घर की अन्य चीजों में नमक यानी सोडियम का इस्तेमाल कर रहे हैं. पैकेट वाली नमकीन और यहां तक की मीठे बिस्किट में भी सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है जिससे उनके बीपी की समस्या वैसे ही रहती है.
ब्लड प्रेशर एक साइलेंट किलर है:
डॉ. साहनी ने कहा कि ब्लड प्रेशर एक साइलेंट किलर है. जिसके लक्षणों को पहचानना मुश्किल है, लेकिन यह हृदय रोग से लेकर किडनी फेल होने जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्च रक्तचाप को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन इसको समाप्त (इलाज) नहीं किया जा सकता है. उन्होंने रोगियों को डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा का पालन करने, स्वस्थ आहार और वजन बनाए रखने, हाइड्रेटेड रहने और नमक का सेवन सीमित करने की सलाह दी।
नियमित रूप से कराएं मेडिकल चेकअप: डॉ. साहनी ने बताया कि जिन लोगों को डॉक्टर की ओर से हाइपरटेंशन के लिए दवाएं दी जाती है. उनका काम बीपी और शुगर को कंट्रोल करना होता है. लेकिन लोग बीपी की दवा को गलत तरीके से लेते हैं. जिसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है. डॉक्टर के द्वारा बताई गई बीपी की दवा का ही सेवन करना चाहिए. यहां तक की डॉक्टर द्वारा बीपी और हाइपरटेंशन के मरीज को हर 3 महीने बाद चेकअप के लिए बुलाया जाता है. जिससे बीपी की दवा की मात्रा कम और ज्यादा की जाती है.डॉक्टर साहनी ने बताया कि लोगों से बातचीत करने के दौरान उन्हें पता चला कि लोग कितनी गलत तरीकों से अपने जीवन शैली जी रहे हैं. यहां तक कि उन्हें सही दवा की भी जानकारी नहीं है. इसकी वजह से वे अपनी किडनी को खराब कर बैठते हैं.