बगहा में फलीम हत्याकांड की सुनवाई में पुलिस की लापरवाही सामने आई है। 17 साल से पुलिस गवाह पेश नहीं कर पाई जबकि हाई कोर्ट ने जल्द निपटारे का आदेश दिया था। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पुलिस उपमहानिरीक्षक को निर्देश दिया है। पीड़िता इंसाफ के लिए भटक रही है और अभियोजन पक्ष पर कर्तव्यहीनता का आरोप लगा है। अगली सुनवाई 6 जून को होगी
बगहा। बगहा में कोर्ट के आदेश पर खाकी की मनमर्जी भारी पड़ रही है। ऐसा ही एक मामला फलीम हत्याकांड की सुनवाई के दौरान सामने आया है। जिसके बाद जिला जज चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट में फलीम हत्याकांड में अभियोजन द्वारा 17 वर्षों में पुलिस साक्षी को ही प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है। वह भी तब जब पटना हाई कोर्ट का इस वाद को शीघ्र निस्तारित करने का आदेश था।
कोर्ट की ओर से बार-बार आदेश जारी होने के बाद भी पुलिस के अधिकारी ही गवाही के लिए 17 वर्षों से नहीं आ रहे। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक बेतिया को संपूर्ण मामले से अवगत कराते हुए निर्देश देते हुए कहा कि अपने स्तर से यह सुनिश्चित करें की पुराने वादों में प्राथमिकता के तौर पर साक्ष्य प्रस्तुत हो सके, जिससे पटना हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश का ससमय अनुपालन हो किया जा सके।
अभियोजन को साक्ष्य के लिए अंतिम अवसर देते हुए कोर्ट ने छह जून की तिथि मुकर्रर की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जिला अभियोजन अधिरोपित विधि द्वारा अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर नहीं है। न्यायिक आदेशों के अनुपालन के प्रति पुलिस पदाधिकारी गंभीर नहीं है, विशेषकर हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे पुराने वाद इस न्यायालय के समक्ष सैकड़ों की संख्या में है। जिसमें वर्षों से गवाह नहीं आ रहें है। पुलिस पदाधिकारी तामिला रिपोर्ट ऐसे प्रस्तुत कर रहें है जैसे न्यायालय नही डाकखाना को भेज रहे हैं।
नहीं आए गवाही के लिए कोर्ट
कोर्ट में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि यह केस लगभग 22 वर्ष पुराना है।चार अगस्त 2008 से अभियोजन साक्ष्य के लिए लंबित चला आ रहा है। बीते 17 वर्षों में अभियोजन द्वारा पुलिस साक्षी/सरकारी साक्षी ठकराहां थाना के दारोगा रहे निसार अहमद, कांड के आइओ भीतहा ओपी के प्रभारी रहे दिनेश्वर प्रसाद, भीतहा ओपी के प्रभारी रहे कामेश्वर प्रसाद, योगेंद्र रजक, शमशेर सिंह पर कोर्ट से गैर जमानतीय वारंट के बाद भी गवाही के लिए नहीं आ रहे।
इंसाफ के लिए भटक रही पीड़िता
कांड की सूचक तेमुला खातून ने अपने पति फलीम अंसारी के हत्या नामजद तीन अभियुक्तों के विरुद्ध 31 दिसंबर 2003 को 22 वर्षों पूर्व दर्ज कराई गई थी। ठकराहा थाना कांड संख्या 52/2003 में रघुनाथ यादव, विश्वनाथ यादव, बलीराम यादव, अमरजीत यादव,. सुदर्शन यादव, कृष्णा यादव को अभियुक्त बनाया गया था। पीड़िता अपने शौहर को इंसाफ दिलाने के लिए ठोकरे खा रही है।
कोर्ट के आदेश पर भारी पड़ रहा पुलिस की मनमर्जी
चार अगस्त 2008 से केस अभियोजन साक्ष्य के लिए चला आ रहा है। इन 17 वर्षों में कुल नौ साक्षियों में से अभियोजन द्वारा अभी तक चार स्वतंत्र साक्षियों को प्रस्तुत किया गया है। शेष पांच पुलिस साक्षी है जिनके विरुद्ध पूर्व में जमानतीय वारंट, गैर जमानतीय वारंट कोर्ट से निर्गत किया जा चुका है। इसके लिए सात कोर्ट ने अपने पत्रांक 58 दिनांक सात फरवरी के माध्यम से पुलिस अधीक्षक बगहा को उक्त पुलिस साक्षियों को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद एक भी पुलिस साक्षी साक्ष्य देने के लिए उपस्थित नहीं हुए।
हाई कोर्ट के आदेश भी रहा बेअसर
सत्र वाद सं०:-602/2006 में उच्च न्यायालय पटना द्वारा क्रिमनल मिसलेनियस संख्या 435/2017 दिनांक 19 अप्रैल 2018 में इस वाद को यथाशीघ्र निष्पादित करने का जो समय अवधि दिया गया था, वह भी व्यतीत हो चुका है, अभियोजन साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया जाए।