Tuesday, May 13, 2025

 पटना जिले के 250 लोग प्रतिमाह बनते हैं साइबर ठग के शिकार

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साइबर बदमाशों का गिरोह पश्चिम बंगाल के किसी व्यक्ति के नाम पर लिये गये मोबाइल नंबर से महाराष्ट्र के किसी व्यक्ति को ठगी का शिकार बनाते हैं और उसके पैसे पटना में खुले खाते में डलवाते हैं.

साइबर बदमाश हर माह पटना जिले के तकरीबन 250 लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. इस साल 2025 में 10 मई तक पटना के साइबर थाने में 1069 केस दर्ज किये गये हैं. अगर प्रतिदिन की बात करें तो साइबर बदमाशों के खिलाफ में आठ से दस मामले साइबर थाने में दर्ज किये जाते हैं. पुलिस लगातार साइबर अपराध को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है. इसके बावजूद लगातार बदमाश लोगों को ठगी का शिकार बनाने में कामयाब हो रहे हैं. 

सबसे अधिक वर्क फ्रॉम होम का झांसा देकर ठगी की गयी है. साथ ही शेयर मार्केट में निवेश कर लाखों का प्रॉफिट कमाने का झांसा देकर ठगी की गयी है. एक अनुमान के तहत साइबर बदमाशों ने इस साल जनवरी से लेकर 10 मई तक पांच करोड़ से अधिक रुपयों की ठगी कर ली है. साइबर थाने की पुलिस ने कुछ मामलों में गिरफ्तारी की है. लेकिन जिस तरह से घटना घटी है, उस अनुपात में बदमाशों की गिरफ्तारी नहीं हो पायी है. साथ ही गिरोह के सरगना की गिरफ्तारी नहीं हो पायी है.

एक साइबर क्राइम की घटना में तीन राज्यों से जुड़ जाते हैं कनेक्शन

साइबर बदमाशों के सरगना या गिरोह के सदस्यों की बड़े पैमाने पर इसलिए भी गिरफ्तारी नहीं हो पाती है, क्योंकि कई मामलों में अपराध का कनेक्शन तीन राज्यों से जुड़ जाता है. यह गिरोह इतना शातिर है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान या अन्य राज्यों से कॉल करते हैं. सिम कार्ड इनका पश्चिम बंगाल का होता है और खाता बिहार के पटना, बेतिया, मधुबनी, सीतामढ़ी आदि जिलों के होते हैं. इसका नतीजा है कि साइबर बदमाशों के सरगना गिरफ्तार नहीं होते हैं. केवल वैसे ही लोग पकड़े जाते हैं, जिनके नाम पर खाता होता है.

पटना पुलिस ने भी गिरोह के सदस्यों को पकड़ा

पटना पुलिस की टीम ने पत्रकार नगर इलाके में साइबर बदमाश अरवल निवासी सिंटू और मिंटू को गिरफ्तार किया था. इन लोगों के पास से सिम कार्ड, बैंक खाता व अन्य दस्तावेज बरामद किये गये थे. जितने भी सिम कार्ड बरामद किये गये थे, वे सभी पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, मिजोरम, दिल्ली व बिहार के पटना सहित कई जिलों से लोगों के नाम पर लिये गये थे. जबकि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर आदि जिलों के खाते से संबंधित कागजात थे. सिंटू व मिंटू गिरोह के सरगना भी नहीं पकड़े गये हैं. कुछ दिनों पहले साइबर थाने की पुलिस ने गेमिंग एप के माध्यम से लोगों को ठगी करने वाले गिरोह के करीब 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया था.

गिरोह कैसे करता है काम

साइबर बदमाशों का गिरोह पश्चिम बंगाल के किसी व्यक्ति के नाम पर लिये गये मोबाइल नंबर से महाराष्ट्र के किसी व्यक्ति को ठगी का शिकार बनाते हैं और उसके पैसे पटना में खुले खाते में डलवाते हैं. इस प्रकार, महज एक साइबर क्राइम की घटना में जांच के क्रम में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र व बिहार से तार जुड़े होते हैं. पुलिस तीनों राज्यों का चक्कर लगा भी ले तो सरगना तक पहुंचना आसान नहीं है. इसके अलावा अगर पटना के किसी व्यक्ति को ठगी का शिकार बनाना है तो यह गिरोह महाराष्ट्र के मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके पश्चिम बंगाल के खाते में रकम डलवा देते हैं.

क्या है पटना साइबर थाने की स्थिति

पटना साइबर थाना नौ जून 2023 को खोला गया था. इसमें फिलहाल एक डीएसपी साइबर थाने के इंचार्ज के पद पर पदस्थापित हैं. जबकि 14 इंस्पेक्टर व आठ सब इंस्पेक्टर कार्यरत हैं. जिस तरह से केस दर्ज किये जा रहे हैं, उसके अनुपात में पुलिस बल की काफी कमी है. इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर केस का अनुसंधान करते हैं और उन पर काम का काफी लोड होता है.

इस तरह के साइबर क्राइम के मामले सबसे अधिक

-वर्क फ्रॉम होम का झांसा देकर शेयर में निवेश कराना

-डिजिटल अरेस्ट का भय दिखा कर ठगी करना

-बिजली विभाग का अधिकारी बन कर ठगी करना

-क्रेडिट कार्ड अपडेट करने या लिमिट बढ़ाने का झांसा देकर ठगी करना

क्या कहते हैं साइबर थाने के इंचार्ज सह डीएसपी

साइबर थाने के इंचार्ज सह डीएसपी राधवेंद्र मणी त्रिपाठी ने बताया कि कई मामले ऐसे होते हैं, जिसमें अलग-अलग राज्यों से कनेक्शन जुड़े होते हैं. केंद्र सरकार के समन्वय पोर्टल से मदद मिलती है. साथ ही मेल या फोन से अलग-अलग राज्यों की पुलिस को साइबर क्राइम से जुड़े लोगों के संबंध में जानकारी मांगी जाती है. लेकिन सत्यापन करने में और वहां से रिपोर्ट आने में काफी समय लग जाता है.

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