Monday, March 31, 2025

नेपाली छात्रा की मौत का मामला, एनएचआरसी ने मांगी रिपोर्ट

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एनएचआरसी सदस्य प्रियम कानूनगो ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया.

भुवनेश्वर: नेपाली स्टूडेंट की आत्महत्या मामले में एनएचआरसी सदस्य प्रियम कानूनगो ने कहा कि KIIT अधिकारियों को छात्रों की सुरक्षा की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी. साथ ही केआईआईटी ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया. कार्रवाई की रिपोर्ट 4 सप्ताह के भीतर पेश करने का आदेश दिया गया है.

कानूनगो ने कहा कि KIIT अधिकारियों को छात्रों की सुरक्षा की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी. केआईआईटी अधिकारियों ने संवेदनशील घटना को बहुत हल्के में लिया. केआईआईटी ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया.

उन्होंने कहा, “पीड़िता ने केआईटी अधिकारियों से ब्लैकमेल और यौन उत्पीड़न की शिकायत की, लेकिन केआईआईटी अधिकारियों ने पुलिस स्टेशन में कोई शिकायत दर्ज नहीं की और न ही कोई कार्रवाई की, जिसके कारण पीड़िता की मौत हो गई. केआईआईटी अधिकारियों ने पीड़िता को आत्महत्या के लिए उकसाया. उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने में विश्वविद्यालय प्रबंधन शामिल है. हमने इस मामले में मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को सूचित किया है.”

यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में नेपाली छात्रा का शव मिला
घराई यूनिवर्सिटी के हॉस्टल परिसर में बीटेक थर्ड ईयर की छात्रा प्रकृति लामसाल का शव मिला था. कुछ घंटों बाद पुलिस ने उसके प्रेमी आद्विक श्रीवास्तव को भी उसे प्रताड़ित करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

आरोप है कि घटना के बाद कैंपस में मौजूद नेपाली छात्रों ने तोड़फोड़ की और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों पर बल प्रयोग किया. यहां तक ​​कि सुरक्षा गार्ड द्वारा छात्रों की पिटाई का वीडियो भी वायरल हुआ.

इसके साथ ही प्रशासन ने हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की राष्ट्रीयता को लेकर विवादित बयान भी दिया. सभी छात्रों को जबरन उठाकर कटक और भुवनेश्वर रेलवे स्टेशनों पर छोड़ दिया गया. इस घटना के सामने आने के बाद आंदोलन तेज हो गया. राज्य सरकार ने घटना को गंभीरता से लिया है. घटना की जांच अभी जारी है.

कई अधिकारियों से पूछताछ
मामले में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के संस्थापक अच्युत सामंत समेत 8 अधिकारियों के पूछताछ की गऊ. राज्य सरकार की ओर से घटना की जांच किए जाने के बाद निजी विश्वविद्यालय के अधिकारीउच्च स्तरीय जांच समिति के समक्ष पेश हुए. इनमें विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार भी शामिल थे.

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