कामदा एकादशी के दिन जो लोग व्रत का पालन कर रहे हैं, उन्हें भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करनी चाहिए. आइए, हम कामदा एकादशी व्रत की कथा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें.
सनातन धर्म में कामदा एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यह विशेष तिथि भगवान विष्णु, जो जगत के पालनहार हैं, को समर्पित है. वैदिक पंचांग के अनुसार, आज 08 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत मनाया जा रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. यह माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले जातकों को पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए. आइए, इस लेख में हम कामदा एकादशी की व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें.
कामदा एकादशी व्रत कथा 2025
विष्णु पुराण के अनुसार, प्राचीन समय में भोगीपुर नामक एक नगर स्थित था, जहाँ पुण्डरीक नामक एक राजा शासन करते थे. इस नगर में कई अप्सराएँ, किन्नर और गंधर्व निवास करते थे. इनमें ललिता और ललित के बीच गहरा प्रेम था. एक दिन, जब गंधर्व ललित दरबार में गा रहा था, अचानक उसे अपनी पत्नी ललिता की याद आई. इस कारण उसका स्वर, लय और ताल तीनों बिगड़ गए. कर्कट नामक नाग ने इस गलती को पहचान लिया और राजा को इसकी सूचना दे दी. राजा को अत्यंत क्रोध आया और उसने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया.
ललिता को जब यह जानकारी मिली, तो वह अत्यंत दुखी हो गई. उसने श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना की. श्रृंगी ऋषि ने कहा, “हे गंधर्व कन्या! चैत्र शुक्ल एकादशी, जिसे ‘कामदा एकादशी’ कहा जाता है, निकट है. यदि तुम इस एकादशी का व्रत करोगी और उसके पुण्य का फल अपने पति को अर्पित करोगी, तो वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा.” ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत का फल अर्पित करते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पूर्व स्वरूप में लौट आया.
कामदा एकादशी 2025 शुभ मुहूत
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 अप्रैल को रात 08 बजे प्रारंभ हुई और 08 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी. इस प्रकार, आज 08 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत मनाया जा रहा है.