धनबाद: जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएनएमएमसीएच का ब्लड बैंक खून की किल्लत झेल रहा है. एक हजार यूनिट क्षमता वाले अस्पताल के ब्लड बैंक में महज 37 यूनिट ही खून शेष बचे हुए हैं. जिससे जरूरतमंद मरीजों की परेशानी बढ़ी हुई है. विशेषकर थैलीसीमिया मरीजों की. थैलीसीमिया मरीजों को डोनर की व्यवस्था करनी पड़ रही है. सैकड़ों थैलीसीमिया के मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. अस्पताल प्रबंधन खून की कमी को दूर करने के प्रयास में जुटा हुआ है.
गिरिडीह से ब्लड बैंक पहुंचे रोहित यादव ने कहा कि बच्ची थैलीसीमिया पीड़ित है. ब्लड के लिए धनबाद अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे हैं. लेकिन कहा गया कि ब्लड नहीं है. खुद से डोनेट करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हर महीने उनकी बच्ची को ब्लड की जरूरत पड़ती है.ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ बीके पांडा ने कहा कि अस्पताल में एक हजार यूनिट रक्त संग्रह की क्षमता है. लेकिन फिलहाल 37 यूनिट ही ब्लड उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि 5-6 जिले के थैलीसीमिया के मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. करीब 250 मरीज थैलीसीमिया के हैं. जिन्हें हर महीने दो यूनिट ब्लड उपलब्ध कराना पड़ता है. ब्लड की फिलहाल कमी है. उन्होंने कहा कि धनबाद पुलिस और सीआईएसएफ से ब्लड की कमी को दूर करने के लिए जवानों को ब्लड डोनेट करने की अपील की गई है.
धनबाद के भेलाटांड़ से ब्लड बैंक पहुंचे एके महतो ने बताया कि उनकी आठ साल की बच्ची थैलीसीमिया बीमारी से ग्रस्त है. साढ़े तीन महीने से ही बच्ची को यह समस्या है. बच्ची को खून की जरूरत है. जिसके लिए ब्लड बैंक पहुंचे हैं. लेकिन परिजन को ब्लड बैंक में खून नहीं मिला है. प्रबंधन ने कहा कि खुद से डोनेट करना पड़ेगा. उन्होंने संस्थान और एनजीओ से ब्लड डोनेट करने की अपील की है. ताकि जरूरतमंदों को खून मिल सके.
एसएनएमएमसीएच के प्राचार्य एसके चौरसिया ने कहा कि हमें सभी को ब्लड उपलब्ध कराना है. ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन काफी कम हो रहा है. यही वजह है कि ब्लड बैंक में खून की कमी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में खून की कमी को दूर करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए एमबीबीएस, पारा मेडिकल और जीएनएम के स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित कर नियमित ब्लड डोनेट कराने पर विचार किया जा रहा है