Saturday, April 19, 2025

देश में कानूनी तौर पर बच्चों के गोद लेने की संख्या में हुआ इजाफा, इस मामले में क्या है झारखंड की स्थिति

Share

एसएए की सक्रियता के कारण झारखंड में 2024-25 में कुल 70 बच्चे गोद लिए गए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 28 बच्चे रांची से हैं.

रांची: भारत में बच्चों को गोद लेने से जुड़े इकोसिस्टम में जबरदस्त सुधार देखने को मिल रहा है. आंकड़े तो यही बता रहे हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 4,515 बच्चे गोद लिए गये हैं. इनमें 4,155 बच्चों को घरेलू स्तर पर गोद लिया गया है. इससे पता चलता है कि बच्चों को कानूनी तौर पर गोद लेने की स्वीकार्यता बढ़ रही है. इसकी तुलना 2023-24 में कुल 4,029 बच्चे गोद लिए गये थे. इनमें 3,580 बच्चों को देश में जबकि 449 बच्चों को देश के बाहर के लोगों ने एडॉप्ट किया था. इसमें केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण यानी ‘कारा’ की अहम भूमिका रही है.

झारखंड के कितने बच्चे लिए गये हैं गोद
रही बात झारखंड की तो यहां संचालित Specialised Adoption Agencies यानी एसएए की सक्रियता की बदौलत वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 70 बच्चे गोद लिए गये हैं. इनमें सबसे ज्यादा 28 बच्चे-बच्चियां रांची में संचालित SAA से जुड़े हैं. हालांकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 90 बच्चे गोद लिये गये थे. ‘कारा’ की पहल पर 8,598 नए चिन्हित बच्चों को गोद लेने से जुड़े पुल में शामिल किया गया है. इसकी वजह से ज्यादा जरुरतमंदों बच्चों को प्यार करने वाले परिवारों का मिलना सुनिश्चित हुआ है. ‘कारा’ की ओर से गोद लेने की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ तालमेल बनाकर गोद लेने से जुड़ी 245 एजेंसियां स्थापित की गई हैं.

‘कारा’ की पहल का दिख रहा है असर

‘कारा’ ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गोद लेने की समयसीमा, सीडब्ल्यूसी सदस्यों का प्रशिक्षण, फ़ॉस्टर केयर और भावी दत्तक माता-पिता के लिए गोद लेने संबंधी परामर्शों सहित 45 वर्चुअल प्रशिक्षण सत्रों के साथ-साथ वास्तविक राज्य अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किए. इसके अलावा, गोद लेने संबंधी जागरूकता अभियान के तहत, ‘कारा’ ने अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 तक दत्तक माता-पिता के साथ बैठकें आयोजित करने के लिए 16 राज्यों के साथ भागीदारी की. महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर की उपस्थिति में नवंबर 2024 में वार्षिक सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें फोस्टर केयर और गोद लेने की वकालत पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसमें 500 से अधिक स्टेकहोल्डर्स शामिल हुए थे.

फोस्टर केयर और फोस्टर एडॉप्शन मॉड्यूल का लाभ
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मार्गदर्शन में ‘कारा’ ने वैकल्पिक परिवार-आधारित देखभाल को बढ़ाने के लिए नई पहल भी शुरू की है. 2024 में कारा ने बड़े बच्चों को परिवार-आधारित वैकल्पिक देखभाल में रखने के लिए सीएआरआईएनजीएस पोर्टल पर फोस्टर केयर और फास्टर एडॉप्शन मॉड्यूल पेश किया. इसका काफी फायदा मिला है.

‘कारा’ ने गोद लेने की प्रक्रियाओं को सुचारु बनाने के लिए डिजिटल हस्तक्षेप लागू किया है. डेटा क्लींजिंग से संबंधित पहचान से जुड़ी पहल और गोद लेने के नियम, 2022 के प्रावधानों को शामिल करते हुए सीएआरआईएनजीएस पोर्टल में सुधार किया गया है. देश में रिश्तेदार और सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने के लिए नए मॉड्यूल पेश किए गए हैं, जिससे औसत प्रसंस्करण समय 3-4 महीने तक कम हो गया है. इन उपायों से ही बच्चों के गोद लेने की रफ्तार ने गति पकड़ी है.

concept images

Table of contents

Read more

Local News