Friday, May 30, 2025

डाक विभाग ने लॉन्च दो नए वेब पोर्टल, जानें क्या है इनका उद्देश्य ?

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DIGIPINसटीक भौगोलिक निर्देशांक प्रदान करके, सटीक सर्विस डिलिवरी सुनिश्चित करेगा

नई दिल्ली: संचार मंत्रालय के डाक विभाग ने मंगलवार को दो परिवर्तनकारी डिजिटल प्लेटफार्म लॉन्च किए: ‘अपना DIGIPIN जानें’ और ‘अपना पिन कोड जानें’. यह भारत के एड्रेसिंग सिस्टम और भू-स्थानिक शासन के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इन प्लेटफॉर्म को राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 के अनुरूप लॉन्च किया गया,

डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DIGIPIN) एक ओपन-सोर्स, इंटरऑपरेबल, जियो-कोडेड, ग्रिड-बेस्ड डिजिटल एड्रेस सिस्टम है, जिसे डाक विभाग ने IIT हैदराबाद और NRSC, ISRO के सहयोग से विकसित किया है.

यह डाक विभाग के एड्रेस-एज-ए-सर्विस (AaaS) की आधारशिला है . यह यूजर्स, सरकारी संस्थाओं और निजी क्षेत्र के संगठनों के बीच सुरक्षित और कुशल बातचीत का समर्थन करने के लिए एड्रेस डेटा मैनेजमेंट से जुड़ी सेवाओं की एक सीरीज है.

‘अपना DIGIPIN जानें’
यह पहल लोकेशन मैपिंग को सरल बनाती है, रसद और आपातकालीन प्रतिक्रिया को बढ़ाती है, और लास्ट-मील डिलिवरी सुनिश्चित करती है, विशेष रूप से ग्रामीण और कम सेवा वाले क्षेत्रों में. DIGIPIN सिस्टम फिलहाल मंत्रालयों, राज्य सरकारों, संस्थानों को उनके वर्कफ़्लो में इंटिग्रेशन के लिए और यूजर्स को उनके खुद के उपयोग के लिए उपलब्ध है.

DIGIPIN को शामिल करने से GIS कैपेबिलिटी का लाभ उठाने में मदद मिलती है, जिससे विभिन्न संगठनों में लागत-प्रभावी तरीके से GIS-आधारित डिजिटलीकरण की नींव रखी जा सकती है. DIGIPIN सटीक भौगोलिक निर्देशांक प्रदान करके, सटीक सर्विस डिलिवरी सुनिश्चित करके और इमरजेंसी रिस्पांस टाइम को कम करके कई क्षेत्रों में स्थान सटीकता को बढ़ाएगा. DIGIPIN तकनीकी दस्तावेज और स्रोत कोड का पूरा कलेक्शन GitHub पर उपलब्ध कराया गया है, जो खुले सहयोग और राष्ट्रव्यापी अपनाने को बढ़ावा देता है,

भौगोलिक सटीकता
1972 में शुरू की गई छह अंकों की पिन कोड प्रणाली ने भारत की डाक डिलीवरी की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम किया है. हालांकि, इसकी भौगोलिक सटीकता को आधुनिक बनाने के लिए विभाग ने देश की सभी पिन कोड सीमाओं को संदर्भित करने के लिए डाक क्षेत्रों में एक राष्ट्रीय जियोफेंसिंग अभ्यास किया. इसके आधार पर डाक विभाग ने अब ‘अपना पिन कोड जानें’ वेब एप्लीकेशन लॉन्च किया है.

जियो-फेंस्ड पिन कोड सीमाओं का डेटासेट भी ‘ऑल इंडिया पिन कोड बाउंड्री जियो-जेएसओएन टाइटल’ के तहत ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया गया है.

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