रांची: एसटी, एससी, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के अनुदान मांग के समर्थन में बोलते हुए झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने राज्य सरकार के कामकाज की जमकर तारीफ की. साथ ही व्यक्तिगत सुझाव के तहत राज्य सरकार से आग्रह किया कि कल्याण शब्द शासक और दास का बोध कराता है, जबकि लोकतंत्र में ना कोई शासक होता है और ना ही कोई दास होता है. इसलिए इस विभाग का नाम ‘अधिकार विभाग’ होना चाहिए. वहीं पहली बार जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव जीतकर सदन पहुंची पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू ने सरकार की जमकर आलोचना की.
94 प्रतिशत महिलाएं खुद निर्णय नहीं ले पातीं- कल्पना
कल्पना सोरेन ने महिलाओं के हक और अधिकार की बात शिद्दत से की. वे कई बार भावुक हो गईं. उन्होंने कहा कि कल्पना चावला, सुनिता विलियम्स ने अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हैं. संतोष यादव ने हिमालय को अपनी कदमों से कई बार नापा है. ये तस्वीरें गौरवान्वित करती हैं. लेकिन दूसरी तस्वीर शर्मसार करती है. भारत में 94 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं खुद निर्णय नहीं ले पातीं हैं. भ्रूण हत्या और प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत के प्रतिशत में कमी पर खुशी जाहिर की जा रही है. विभागों में महिलाओं को अलग से आरक्षण देने की बात हो रही है. सदन में भी आरक्षण देने की बात होती है. लेकिन कब तक इन सजावटी निर्णयों को ताली बजाकर स्वीकार करेंगे. कल्पना सोरेन ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा और रोजगार चाहिए. बाकी का रास्ता खुद तय कर लेंगी. आखिर कब तक एक मंईयां अपने बच्चे को पोषण देने के लिए पैसे मांगने को विवश होती रहेगी.
मंईयां के लिए राशि इकट्ठा करना मुश्किल काम था – कल्पना
कल्पना सोरेन ने कहा कि 24 वर्ष में पहली बार 18 साल से 50 साल तक की महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना के तहत प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. शुरुआत में 1,000 रु. प्रति माह दिए जा रहे थे. उसे बढ़ाकर अब 2,500 रु. प्रतिमाह कर दिया गया है. पूछा जाता है कि मंईयां सम्मान के पैसे कहां से आएंगे. कहीं दूसरे विभागों की राशि तो नहीं काटी जाएगी. लेकिन ऐसा कतई नहीं होगा. उन्होंने कहा कि चुनावी वर्ष में इस योजना को रोकने के लिए पीआईएल गैंग भी एक्टिव हो गए थे. लेकिन चुनाव में महिलाओं ने हमारा साथ दिया. कल्पना सोरेन ने कहा कि मंईयां सम्मान की राशि राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मजबूती प्रदान कर रही है. कल्पना सोरेन ने कहा कि इतनी बड़ी राशि इकट्ठा करना बेहद मुश्किल काम था. लेकिन सीएम और वित्त मंत्री ने इस काम को पूरा किया. अब सबके खाते में पैसे जा रहे हैं.
वृद्ध, विधवा और दिव्यांग को 1500 रु. का पेंशन दे केंद्र- कल्पना
झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने केंद्र सरकार पर भी गंभीर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वृद्धा पेंशन मद में 200 रु देती है. विधवा पेंशन मद में 300 रु देती है. दिव्यांग को 300 रु. देती है. लेकिन राज्य सरकार सभी को 1000 रु देती है. उन्होंने भारत सरकार से इन जरुरत मंदों को 1,500 रु. प्रति माह देने का आग्रह किया. कल्पना सोरेन ने कहा कि सोना अबुआ झारखंड के सपने को साकार करना है. इस काम में विपक्ष का भी सहयोग चाहिए.
अबुआ राज में आदिवासियों पर बढ़ा है जुल्म – पूर्णिमा साहू
वहीं, कटौती प्रस्ताव के पक्ष में भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू ने कहा कि अबुआ सरकार के राज में आदिवासियों पर जुल्म बढ़ा है. संथाल में लव और लैंड जिहाद हो रहा है. बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ीं हैं. बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ा है. उन्होंने धर्मांतरण और बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए. पूर्णिमा साहू ने कहा कि शादी के बाद आदिवासी बच्चियों की संपत्ति पति के नाम पर ट्रांसफर ना हो. आवासीय प्रमाण पत्र में पिता की जगह पति का नाम अनिवार्य किया जाए. संथाल में ओबीसी आरक्षण शून्य है. लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं हो रहा है.
पूर्णिमा दास ने पूर्वर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई. संथाली ओलचिकी लिपी को मान्यता मिली थी. प्राथमिकी कक्षाओं में पढ़ाई शुरु हुई. लुगुबुरु मेला को राजकीय मेला का दर्जा मिला. आदिवासी ग्राम समिति बनी थी. आदिम जनजाति परिवार को डाकिया योजना के तहत घर पर अनाज पहुंचाया जाता था. पहाड़िया समुदाय का बटालियन बना था. एसटी और एससी आयोग का गठन हुआ था. इस आयोग को वर्तमान सरकार ने क्रियाशील नहीं किया. 521 आदिवासी सांस्कृतिक केंद्र बनवाया. पहली बार पारंपरिक व्यवस्था के प्रधानों को सम्मान राशि दी गई जो बंद है. टाना भगत विकास प्राधिकरण का गठन हुआ था.
भाजपा विधायक पूर्णिमा दास ने कहा कि हर महिला को मंईयां सम्मान योजना का वादा किया था. सिर्फ चुनावी एजेंडा निकला. अब लाभार्थियों की संख्या घटा दी गई है. वर्तमान ने 18 से 50 साल तक की महिलाओं की संख्या करीब 70 लाख है. शुरु में 56 लाख से ज्यादा महिलाओं को राशि दी. अब संख्या घटा दी गई. 450 रु. रु. गैस सिलेंडर देने का वादा भी भूल गई है सरकार.