Friday, January 24, 2025

झारखंड में बांग्लादेशी उद्योगपतियों को दें बेहतर सुविधा, राज्य सरकार को चैंबर ऑफ कॉमर्स का सुझाव

Share

रांची: राज्य में हेमंत सरकार के आगामी बजट में जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था की झलक देखने को मिलेगी, वहीं सतत समावेशी और सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देकर राजस्व संग्रह पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इसी के तहत झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बजट में बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति का लाभ लेने का सुझाव देते हुए टेक्सटाइल इंडस्ट्री को राज्य में बढ़ावा देने की सलाह दी है.

झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परेश गट्टानी ने वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर को सुझाव भेजते हुए कहा है कि राज्य में बड़ा लैंड बैंक बनाने की आवश्यकता है. जिससे बड़ी इंडस्ट्री राज्य में आ सके. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की टेक्सटाइल पॉलिसी देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अच्छी है.

परेश गट्टानी ने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह की समस्या वर्तमान में है, वैसी परिस्थिति में यदि वहां के टेक्सटाइल इंडस्ट्री को राज्य सरकार लैंड उपलब्ध कराए, सिक्योरिटी दे, बिजली दे, पानी दे और उन्हें यहां इंडस्ट्री लगाने के लिए प्रोत्साहित करे तो वहां से बांग्लादेशी यहां आ सकते हैं. यदि वहां से 8-10 टेक्सटाइल इंडस्ट्री यहां आ जाती है तो यहां का कायाकल्प हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा करती है तो झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स इसमें पूर्ण सहयोग करेगा.

झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार को दिए कई सुझाव

आगामी बजट को लेकर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार को कई सुझाव दिए हैं. सरकार को लिखे पत्र में झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने जिन सेक्टर पर फोकस किया है उसमें इंडस्ट्री, हाउसिंग, माइनिंग आदि शामिल हैं. चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परेश गट्टानी के अनुसार सरकार राजस्व संग्रह पर जोर दे रही है. इस दिशा में कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां से काम की शुरुआत होते ही राजस्व संग्रह प्रारंभ हो जाएगा.

परेश गट्टानी ने कहा कि पूरे देश का 40 प्रतिशत माइंस मिनरल झारखंड में है, जबकि ओडिशा और छत्तीसगढ़ में इस तुलना में काफी कम है. इसके बावजूद राजस्व संग्रह में हम काफी पीछे हैं. हालत ये है कि झारखंड में 10500 करोड़ राजस्व संग्रह हो रहा है, जबकि ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 50000 करोड़ से अधिक की राजस्व प्राप्ति हो रही है. उन्होंने कहा कि माइंस के ऑक्शन नहीं होने से राजस्व का नुकसान हो रहा है, जिसको लेकर चैंबर ने सरकार को अवगत कराया है.

चैंबर ने सरकार को सलाह देते हुए कहा है कि माइंस को लेकर कई तरह की बाधा आती है. वन क्षेत्र के साथ-साथ स्थानीय लोगों की कुछ ना कुछ शिकायतें रहती हैं, जिसे दूर करना सरकार का काम है. सरकार को चाहिए कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ की तरह माइंस अलॉट करने से पहले सभी तरह की प्रक्रिया को पूरी अपने स्तर से करके ही आगे बढ़े, नहीं तो बाद में परेशानी बढ़ती चली जाती है.

Read more

Local News