झारखंड के दुमका समेत संताल परगना के लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी. अगले चार दिनों में गरज के साथ बारिश के आसार हैं. इससे तापमान में गिरावट से लोग राहत महसूस करेंगे.
दुमका-झारखंड की उपराजधानी दुमका समेत संताल परगना में अगले चार दिनों में गरज के साथ हल्के और मध्यम दर्जे की बारिश होने का पूर्वानुमान है. इससे अधिकतम तापमान में थोड़ी गिरावट होने की उम्मीद जतायी गयी है. बुधवार की दोपहर में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक 20 मार्च से 23 मार्च तक छिटपुट बारिश से मौसम के मिजाज में जो बदलाव दिखेगा, उससे अधिकतम तापमान लगभग पांच डिग्री सेल्सियस घटकर 31 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की संभावना जतायी गयी है.
तेजी से बढ़ा है तापमान
पिछले बीस दिनों में संताल परगना में गर्मी ने तेजी से दस्तक दी है. लंबे अरसे से बारिश न होने से भी लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है. दरअसल, इलाके की अधिकांश नदियां सूखने लगी हैं. कुआं और तालाब तो पहले से ही जवाब देते दिख रहे थे. बड़ी तेजी से वैसे चापानल ने भी हांफना शुरू कर दिया है, जिनमें कम बोरिंग हुई है और ड्राई जोन माना जाता है.
मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि सलाह
आनेवाले दिनों में वर्षा की संभावना को देखते हुए रबी की जो भी फसल अभी तैयार हो चुकी है, उसकी अविलंब कटाई कर लें. विभिन्न फसलों एवं सब्जियों में जल निकासी की सुविधा रखें. नमी में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए फसल में किसी भी तरह की बीमारी को लेकर निगरानी रखें. उर्वरक का भुरकाव 23 मार्च के बाद ही मौसम साफ देखकर करें. रबी फसल की कटाई के पश्चात इच्छुक किसान आनेवाले दिनों में वर्षा का लाभ लेते हुए गरमा सब्जी की नर्सरी तैयार करें. लतर वाली सब्जियों जैसे खीरा, ककड़ी, कद्दू , कदीमा आदि में जिनका बढ़वार ज्यादा हो गया है, उसमें झांकी लगा दें, जिससे पत्तियों एवं फूलों का संपर्क सीधे मिट्टी से न हो सके. बारिश से आम, लीची व सहजन का मंजर-फूल झ़ड़कर गिर सकता है. ओलावृष्टि अगर होती है, तो इससे भी सब्जियों को नुकसान पहुंच सकता है.
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी ये सलाह
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं की फसल इस समय दाना भरने की अवस्था में है. इस अवस्था में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, यह भी ध्यान रखना होता है. नमी की कमी से उपज में कमी आ सकती है. इसलिए किसानों के लिए यह जरूरी है कि फलन में दाना भरने की अवस्था रहने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई अवश्य करें. किसानों को वैज्ञानिकों ने यह भी सलाह दी है कि वे गेहूं की फसल को गेहूं के मामा कहे जानेवाले फ्लेरिस माइनर से बचाएं. फ्लेरिस माइनर एक खर-पतवार है, जो गेहूं की फसल को प्रभावित करता है.