झारखंड के बाजार में हर्बल गुलाल आ गये हैं. पर्यावरण अनुकूल हर्बल गुलाल गांवों की महिलाओं ने तैयार की है. जेएसएलपीएस इसे बाजार उपलब्ध करा रहा
होली का त्योहार करीब आ गया है. झारखंड में हर्बल होली मनाने की तैयारी है. हर्बल गुलाल बाजार में आ गये हैं. महिलाओं ने खुद पर्यावरण अनुकूल हर्बल गुलाल तैयार की है. महिलाएं ही इसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग भी कर रहीं हैं. झारखंड सरकार ने हर्बल गुलाल की बिक्री के लिए इन महिलाओं को बड़ा प्लेटफॉर्म दिया है. पलाश ब्रांड के तहत ग्रामीण महिलाएं हर्बल गुलाल बना रहीं हैं. सरकार की मदद से राजधानी रांची समेत कई जिलों में पलाश हर्बल गुलाल प्रदर्शनी सह बिक्री स्टॉल का शुभारंभ हुआ है. रविवार (9 मार्च 2025) को रांची, हजारीबाग, पलामू, चतरा, रामगढ़, खूंटी और लोहरदगा में स्टॉल का शुभारंभ किया गया है. होली स्पेशल डिस्प्ले स्टॉल से लोग 9 मार्च से 13 मार्च तक खरीदारी कर सकेंगे.
JSLPS का पलाश हर्बल गुलाल प्रदर्शनी सह बिक्री अभियान
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की सीईओ कंचन सिंह ने कहा है कि रंगों के त्योहार होली के लिए बाजार सज गये हैं. पिछले वर्ष की तरह पलाश ब्रांड के तहत सखी मंडल की महिलाओं के द्वारा तैयार हर्बल गुलाल बाजार में आ गये हैं. हर्बल गुलाल की बिक्री को बढ़ावा देने और आम जनों को इको-फ्रेंडली होली के प्रति जागरूक करने के लिए राज्यस्तरीय पलाश हर्बल गुलाल प्रदर्शनी सह बिक्री अभियान की शुरुआत की गयी है.

पर्यावरण अनुकूल अबीर बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
कंचन सिंह ने कहा कि पलाश हर्बल अबीर का उत्पादन न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि इससे हजारों ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक संबल भी मिल रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा राज्य की ग्रामीण महिलाओं के उत्पादों को बाजार में पहचान दिलाने के उद्देश्य से शुरू किये गये पलाश ब्रांड के अंतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में हजारों ग्रामीण महिला उद्यमी पलाश हर्बल गुलाल का उत्पादन कर रहीं हैं.
हर्बल गुलाल प्राकृतिक और पूरी तरह सुरक्षित
जेएसएलपीएस की सीईओ ने कहा कि झारखंड के सभी जिलों में 100 से अधिक स्टाल लगाये गये हैं. उन्होंने कहा कि सखी मंडल की माहिलाएं गुलाल तैयार करने में प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल कर रहीं है, जो त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. इस हर्बल गुलाल में किसी भी प्रकार के रसायन का इस्तेमाल नहीं हुआ है. इसे बनाने के लिए समूह की दीदियां फूल, फल और पत्तियों का इस्तेमाल कर रहीं हैं.
गुलाल बनाने के लिए इन चीजों का हो रहा है इस्तेमाल
हरे रंग के लिए पालक, गुलाबी के लिए चुकंदर, पीले और नारंगी रंग के लिए पलाश और हल्दी समेत अन्य फूलों और पत्तियों के प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं, गुलाल को सुगंधित बनाने के लिए प्राकृतिक एसेंस का भी इस्तेमाल किया गया है.
हर्बल गुलाल प्रदर्शनी सह बिक्री अभियान 9 से 13 मार्च तक
कंचन सिंह ने कहा कि ‘पलाश ब्रांड’ के जरिये ग्रामीण महिलाओं के हाथों से बने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाया जा रहा है. पलाश ब्रांड के माध्यम से उनके उत्पादों को नयी पहचान मिली है. उनकी आमदनी बढ़ रही है और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा भी मिल रहा है. इस वर्ष जेएसएलपीएस 9 मार्च से 13 मार्च तक सभी जिलों के प्रमुख केंद्रों में स्टॉल लगा रहा है, जहां ‘पलाश हर्बल गुलाल’ के साथ-साथ पलाश रागी लड्डू, हैंडमेड चॉकलेट, कुकीज आदि उत्पादों की बिक्री की जा रही है.
रांची में इन जगहों पर लगे हैं स्टॉल
- एफएफपी भवन, सचिवालय (धुर्वा)
- झारखंड हाईकोर्ट परिसर
- रांची मॉल
- न्यूक्लियस मॉल
- स्प्रिंग सिटी मॉल (हिनू)
- डोरंडा बाजार
- अटल वेंडर मार्केट
- पैंटालूंस (लालपुर के समीप)
- रिलायंस मॉल (कांके रोड)
- मोराबादी मैदान
- एजी मोड़