कोडरमा में अब अनिबंधित फ्लैटों का निबंधन अनिवार्य कर दिया गया है। झारखंड के निबंधन महानिरीक्षक ने सभी उपायुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वे संबंधित नगर निकाय के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर अपार्टमेंटों का नक्शा के अनुरूप अनिबंधित फ्लैटों का निबंधन में तेजी लाएं। कोडरमा में अनिबंधित फ्लैटों की संख्या सबसे अधिक है। एक अनुमान के मुताबिक यहां 10-20 प्रतिशत फ्लैटों का ही निबंधन हुआ है।
कोडरमा। झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन का कोडरमा का मुख्य शहर झुमरीतिलैया में रियेल स्टेट के कारोबार को झटका पर झटका लग रहा है।ताजा मामला यहां तैयार हो रहे फ्लैटों के निबंधन को लेकर है। इस संबंध में झारखंड के निबंधन महानिरीक्षक का एक पत्र सभी उपायुक्तों को हाल में प्राप्त हुआ है।पत्र में कहा गया है कि विभागीय समीक्षा के दौरान यह पाया गया है कि जिलों में जिस रफ्तार से अपार्टमेंट का निर्माण हो रहा है, अपार्टमेंट में बने फ्लैटों का निबंधन समानुपातिक रूप से काफी कम हो रहा है।
यानी अधिकांश फ्लैट अनिबंधित रह जा रहे हैं। ऐसे फ्लैटों से निबंधन से सरकार को और अधिक राजस्व प्राप्ति की संभावना है।पत्र में सभी अवर निबंधकों को संबंधित नगर निकाय के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर अपार्टमेंटों का नक्शा के अनुरूप अनिबंधित फ्लैटों का निबंधन में तेजी लाने को कहा गया है।
सरकार के इस आदेश का झुमरीतिलैया में खास प्रभाव पड़ने वाला है। दरअसल पूरे राज्य में अनिबंधित फ्लैट कोडरमा में सबसे अधिक है। एक अनुमान के मुताबिक यहां 10-20 प्रतिशत फ्लैटों का ही निबंधन हुआ है।शेष फ्लैटों की बिक्री एग्रीमेंट पर हो रही है। इसके पीछे मुख्य वजह यहां फ्लैटों के रेट का निर्धारण अत्यधिक होना है। पूरे राज्य में कोडरमा में जिला में फ्लैट का दर सबसे ज्यादा है।इस मामले में रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसे तीन बड़े नगर निगमों से झुमरीतिलैया की तुलना करें तो झुमरीतिलैया में निबंधन का रेट रांची से 10-25 प्रतिशत, जमेशदपुर से 30-50 प्रतिशत और धनबाद से तो 40-100 प्रतिशत तक ज्यादा है।बताया जाता है वर्ष 2013 में कोडरमा निबंधन विभाग के सरकारी बाबुओं की एक गलती का खामियाजा यहां के लोग पिछले 12 वर्षों से झेल रहे हैं।इस वजह से फ्लैट, मकान, जमीन की खरीद-बिक्री में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सीधे तौर पर कहें तो जो फ्लैट, मकान का बाजार मूल्य 30-35 लाख है, उसका रजिस्ट्री मूल्य 75 लाख से एक करोड़ हो जाता है।इससे लोगों को खरीद-बिक्री के लिए निबंधन शुल्क एवं स्टांप ड्यूटी तीन से चार गुणा ज्यादा भुगतान करना पड़ता ही है, आयकर की नोटिस अलग से मिलती है। यही कारण है कि अधिकतर लोग फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं कराते हैं।कोडरमा नगर पंचायत व झुमरीतिलैया के शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2013 में फ्लैट व संरचना के लिए पुनरीक्षित किए गए मूल्य निर्धारण में कुछ अव्यवहारिक नियमों को अपनाए जाने से के कारण एकबार में 50 से 100 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई गई। यही स्थिति अबतक चली आ रही है।
दर में संशोधन के लिए पूर्व डीसी ने की थी अनुशंसा
- पूर्व डीसी आदित्य रंजन ने प्रावधानों का हवाला देते हुए निबंधन महानिरीक्षक को पत्राचार कर शहरी क्षेत्र में पक्का व कच्चा संरचना में मूल्य निर्धारण में संशोधन की आवश्यकता बताई थी।
- उन्होंने कहा था कि न्यूनतम मूल्य निर्धारण वर्ष 2013 में किये जाने के बाद वर्तमान में कोडरमा में फ्लैट व अन्य संरचना का मूल्य राज्य के अन्य शहरों की अपेक्षा काफी अधिक हो गया है।
- झारखंड स्टांप रूल 2012 के अनुसार सभी तरह के संरचना दर में 10 प्रतिशत की ही वृद्धि किया जाना है। प्राविधान के अनुसार समिति द्वारा मूल्य निर्धारण में हुई विसंगतियों के निराकरण किया जाना है।
- अगर मूल्य निर्धारण में संशोधित किया जाता है तो फ्लैटों के निबंधन में वृद्धि होगी।