Thursday, March 6, 2025

जब लालू यादव ने एयरपोर्ट तक किया था राज्यपाल का पीछा, कद्दावर नेताओं की सियासी चालों के बीच CM बनने की कहानी

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बिहार विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस हुई. नीतीश कुमार ने दावा किया कि उन्होंने ही लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाया था, जिस पर तेजस्वी ने पलटवार करते हुए कहा कि दो बार उन्होंने नीतीश कुमार को सीएम बनाया. यह बहस 1990 के उस राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा करती है, जब लालू यादव ने कई दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ बिहार की सत्ता संभाली थी.

बिहार विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस देखने को मिली. जब नीतीश कुमार सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे, तब तेजस्वी यादव ने बीच में टोक दिया. इससे नीतीश कुमार भड़क गए और कहा- “तुम कुछ नहीं जानते, अपने पिता से पूछो. तुम्हारे बाप को मैंने मुख्यमंत्री बनाया था. तुम्हारे जात वाले भी कह रहे थे कि इसको क्यों बना रहे हैं, लेकिन मैंने बना दिया

तेजस्वी का पलटवार- “नीतीश बाबू, आपको दो बार हमने मुख्यमंत्री बनाया”

नीतीश कुमार के इस बयान के बाद तेजस्वी यादव ने जवाब देने में देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा- “नीतीश बाबू, आपको दो बार हमने मुख्यमंत्री बनाया है. 2015 में जब महागठबंधन बना और फिर 2022 में जब हमने आपका समर्थन किया, तब आप मुख्यमंत्री बने. आप किसी को क्या बनाएंगे?” तेजस्वी के इस जवाब से बिहार विधानसभा में माहौल गर्म हो गया और सियासी बयानबाजियों का दौर तेज हो गया.

1990 की राजनीति फिर सुर्खियों में

नीतीश कुमार के इस बयान ने 1990 की उस सियासी कहानी को फिर से जिंदा कर दिया, जब लालू यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. तब जनता दल की सरकार बनी थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह दलित नेता रामसुंदर दास को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, जबकि चंद्रशेखर गुट ने रघुनाथ झा को आगे कर दिया था.

कैसे CM बने थे लालू?

लालू यादव ने अपनी गहरी राजनीतिक रणनीति से पिछड़ा वर्ग को गोलबंद कर लिया और जनता दल के अंदर गुटबाजी का फायदा उठाते हुए विधायक दल का चुनाव करा दिया. उन्हें देवीलाल और शरद यादव का समर्थन मिला, जिससे उन्होंने रामसुंदर दास और रघुनाथ झा को पीछे छोड़ते हुए मुख्यमंत्री पद पर कब्जा कर लिया. उस समय नीतीश कुमार भी लालू के समर्थन में थे, लेकिन यह कहना कि लालू सिर्फ नीतीश की वजह से मुख्यमंत्री बने थे, पूरी सच्चाई नहीं होगी.

राज्यपाल का पीछा किए थे लालू

लालू यादव के शपथ ग्रहण में भी रोड़ा अटकाने की कोशिश हुई थी. वीपी सिंह के समर्थकों ने राज्यपाल से आग्रह किया कि शपथ ग्रहण से पहले दिल्ली से मंजूरी ली जाए. इस पर राज्यपाल दिल्ली जाने लगे, लेकिन लालू यादव को जैसे ही यह जानकारी मिली, वे तुरंत पटना एयरपोर्ट पहुंच गए. हालांकि, तब तक राज्यपाल का विमान उड़ चुका था. बाद में देवीलाल के हस्तक्षेप से मामला सुलझा और 10 मार्च 1990 को लालू यादव ने पटना के गांधी मैदान में ऐतिहासिक रूप से खुले मंच पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

तीन दशक बाद भी वही सियासत, वही दावे

तीन दशक बाद भी बिहार की राजनीति में सत्ता संघर्ष का वही पुराना रंग दिख रहा है. अब जब बिहार की राजनीति एक बार फिर नए मोड़ पर खड़ी है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 के विधानसभा चुनाव में यह तकरार किस ओर मोड़ लेती है.

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