झारखंड में उत्पाद विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे के कार्यकाल में शराब घोटाले की जांच एसीबी कर रही है। शिकायत है कि उनके कार्यकाल में एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री शुरू हुई जो अब तक जारी है। हर दिन औसतन 40 लाख की अवैध वसूली हो रही है जिसे एसीबी समझने में जुटी है।
रांची। पद का दुरुपयोग कर खास प्लेसमेंट एजेंसियों को नियम विरुद्ध कार्य आवंटित करने व करीब 38 करोड़ का राजस्व नुकसान पहुंचाने में जेल भेजे गए आइएएस विनय कुमार चौबे का कार्यकाल जांच के घेरे में है।
आइएएस विनय कुमार चौबे उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव सह जेएसबीसीएल के पूर्व महाप्रबंधक रहे थे, जिनके कार्यकाल में शराब घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कर रहा है।
एसीबी को शिकायत है कि चौबे के कार्यकाल में ही एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री शुरू हुई थी, जो उनके जाने के बाद भी अब तक जारी है।
चौबे के पद पर रहते हुए और उनके हटने के बाद भी पूरे राज्य में एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री से अवैध वसूली का खेल चलता रहा है।
पूरा खेल कमीशन से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, जिसकी राशि प्लेसमेंट एजेंसी से लेकर उत्पाद अधिकारियों तक में बंटती रही है।
एक आंकड़े के अनुसार राज्य में औसतन हर दिन 12 करोड़ की शराब बिकती है। औसतन हर दिन 40 लाख रुपये एमआरपी से अधिक कीमत की वसूली से आते हैं। यही 40 लाख रुपये आपस में बंटते हैं।
एमआरपी से अधिक दर पर शराब बिक्री से हर दिन होने वाली 40 लाख रुपये तक की अवैध वसूली, कमीशन के खेल को अब एसीबी समझने में जुटा है, ताकि उसे अपनी जांच का भी हिस्सा बना सके।
विभाग के अफसर नहीं रोक पाए MRP से अधिक वसूली
शराब की खुदरा बिक्री पर एमआरपी से अधिक वसूली का मामला आम आदमी से जुड़ा हुआ है। विभाग ने इस मामले में सिर्फ नाम भर की कार्रवाई की।
विभाग के अधिकारी एमआरपी से अधिक वसूली नहीं रोक पाए। शराब उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
बहुत पहले से एसीबी में इस तरह की शिकायतें आ रहीं थीं। अब जब शराब घोटाले की जांच में एसीबी रेस है और दो दिनों के भीतर विभाग के चार वरिष्ठ अधिकारियों सहित पांच को जेल भेजा है तो जांच का दायरा अवैध वसूली के कमीशन तक भी पहुंचा है।
अवैध कमाई से बनाई गई चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा खंगालने के दौरान यह बिंदु सत्यापित होगा कि कहां से किसको कितनी राशि पहुंची?