Tuesday, April 1, 2025

चैत्र नवरात्र का रख रहे हैं व्रत तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान, बनी रहेगी देवी की कृपा

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चैत्र नवरात्रि के 9 दिन भक्तों को कुछ बातों का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि माता की अराधना सफल हो. आइए जानते हैं

 चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है. यह नौ दिनों का उत्सव मां दुर्गा को समर्पित है, जिसमें उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस शुभ अवसर पर, आइये जानते हैं नवरात्र उपासना के कुछ साधारण नियम, जिनका पालन करके आप मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

शुद्धता और पवित्रता का पालन: नवरात्र के दिनों में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इन नौ दिनों में सात्विक भोजन ग्रहण करें और पवित्र आचरण बनाए रखें. काम, क्रोध, मद, लोभ और अहंकार जैसे नकारात्मक तत्वों से दूर रहें. अपने विचारों को सकारात्मक रखें और मन को शांत बनाएं.

व्रत या पूजा अपनी क्षमतानुसार: यदि आप नवरात्र का व्रत रखते हैं, तो व्रत के सभी नियमों का पूर्ण रूप से पालन करें. यदि आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो आप विधिवत पूजा भी कर सकते हैं. अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यदि स्वास्थ्य अनुमति दे तभी व्रत रखें. श्रद्धा और भक्ति के साथ मां दुर्गा की आराधना ही मुख्य उद्देश्य है.

देवी दुर्गा को क्या अर्पित न करें: नवरात्रि में देवी दुर्गा को तुलसी या दूर्वा घास अर्पित नहीं करनी चाहिए. इस बात का विशेष ध्यान रखें. इसके अलावा, बासी फूल या दूषित सामग्री भी मां को अर्पित न करें.

मां को प्रिय पुष्प: माता को लाल और पीले पुष्प अर्पित करें, जैसे गुलाब, गुड़हल, गेंदा, हजारा आदि. ये पुष्प मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं. ताज़े पुष्पों का उपयोग करें और उन्हें श्रद्धापूर्वक अर्पित करें.

शुभ स्वास्तिक: नवरात्र पूजन में प्रयोग में लाए जाने वाले रोली या कुमकुम से पूजन स्थल के दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक बनाना शुभ माना जाता है. यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर रखता है.

दुर्गा सप्तशती का पाठ: नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें. पाठ के साथ कवच, कीलक और अर्गला का पाठ भी करना चाहिए. यदि आप प्रतिदिन 1 से 13 अध्याय का पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो हर दिन एक-एक चरित्र का पाठ करें. सप्तशती को 3 चरित्रों में बांटा गया है: प्रथम, मध्यमा और उत्तम. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

हवन का महत्व: नवरात्र के दिनों में हो सके तो प्रतिदिन जोत लें या छोटा हवन करें. मां दुर्गा को “हवन” अत्यंत प्रिय है. हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

हवन सामग्री: घर में उपलब्ध कुछ साधारण वस्तुओं से भी हवन किया जा सकता है जैसे: लौंग, इलायची, किशमिश, बादाम की कतरन, छुआरा, नारियल का बुरादा (चुटकी भर), जौ, इत्यादि. इन सामग्रियों को मिलाकर मां दुर्गा के मंत्रों के साथ आहुति दें.

घी का प्रयोग: हवन या ज्योत में भारतीय देसी गाय का शुद्ध देसी घी ही उपयोग करें. यह घी स्वास्थ्यवर्धक और पवित्र माना जाता है.

मौन व्रत का पालन: नवरात्र के दिनों में ज्यादा से ज्यादा मौन व्रत का पालन करें. कम बोलें और अनावश्यक बातचीत से बचें, क्योंकि मौन रहने से ऊर्जा का संचय होता है. मौन रहने से आत्म-चिंतन का अवसर मिलता है और मन शांत होता है.

रात्रि जागरण: नवरात्र में रात्रि जागरण का विशेष महत्व है. कुछ देर रात्रि जागरण करें और माँ के मंत्रों का जप करें. रात्रि में आप अपने गुरु व इष्ट मंत्रों का जप भी कर सकते हैं. रात्रि जागरण से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

कन्या पूजन: नवरात्र में नौ कन्याओं को भोजन अवश्य कराएं. नौ कन्याओं को नवदुर्गा मानकर पूजन करें. बेहतर होगा कि नियमित रूप से एक कन्या को भोजन कराएं और अंतिम दिन भोजन के बाद उस कन्या को वस्त्र, पढ़ाई का सामान, खाने-पीने की वस्तुएं, फल, श्रृंगार सामग्री इत्यादि देकर विदा करें. कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

भोग और प्रसाद: नवरात्र के भोग में मां दुर्गा को रोजाना फल अर्पित कर सकते हैं. इन फलों को भोग लगाने के बाद कन्याओं में बांट सकते हैं. इसके अलावा, आप अपनी श्रद्धा अनुसार मिठाई, खीर या अन्य व्यंजन भी अर्पित कर सकते हैं.

दिव्य ऊर्जा का काल: नवरात्रि का समय एक दिव्य ऊर्जा का काल है, जिसमें आप अपने इष्ट की साधना करके अपने अंदर दिव्यता और सकारात्मकता ला सकते हैं. यह समय आत्म-चिंतन और आत्म-सुधार के लिए उत्तम है.

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