Friday, January 24, 2025

चेन्नई के तट पर 353 ‘समुद्री कछुओं’ की मौत: अंडे देने का अनोखा सफर क्यों बन रहा जानलेवा?

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चेन्नईः दुनिया की सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण समुद्री प्रजातियों में से एक है समुद्री कछुआ. नीलंगराय से कोवलम तक फैले चेन्नई के तट पर बड़ी संख्या में मृत मिल रहे हैं. पर्यावरणविद इन कछुओं की मौत पर चिंता जता रहे हैं. उनका मानना है कि समुद्र में मानवीय गतिविधियों के कारण ही इन कछुओं को नुकसान पहुंच रहा है. एक विस्तृत सर्वे में इन महत्वपूर्ण जीवों बचाने के उपायों के बारे में पता चलता है.

इस सीजन में 353 कछुओं की मौतः 30 दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 तक के आंकड़े के अनुसार चेन्नई के नीलांगराई और कोवलम तट के बीच 212 कछुओं की मौत हो गई. चेंगलपट्टू तट के सेम्मनजेरी और अलंबराई के बीच 142 कछुए मृत पाए गए. वार्षिक आंकड़ों की तुलना से मौतों में तेज वृद्धि दिखाई देती है. 2024 की शुरुआत से चेन्नई में 220 और चेंगलपट्टू में 133 कछुए, कुल मिलाकर 353 मौतें हुई.

क्या कहते हैं विशेषज्ञः ट्री एनजीओ के संस्थापक सुगराजा धरणी ने बताया, “हम 2002 से समुद्री कछुओं के संरक्षण पर काम कर रहे हैं. हमारे प्रयासों में मछुआरे, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दक्षिणी ओडिशा और गोवा में गश्त करने वाले कर्मियों के बीच जागरूकता पैदा करना है. इन पहलों का समन्वय वन विभाग, मत्स्य विभाग, तटीय पुलिस और तट रक्षक जैसी सरकारी एजेंसियों के साथ किया जाता है.”

क्या है मौत के कारणः दिसंबर से अप्रैल तक समुद्री कछुओं के लिए मांद बनाने का समय होता है. कछुए अंडे देने के लिए मन्नार की खाड़ी से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के समुद्र तटों की ओर पलायन करते हैं. इस प्रवास के हिस्से के रूप में, वे चेन्नई तट के करीब तैरते हैं. अक्सर तट से 5 किमी के भीतर. मोटर चालित मछली पकड़ने वाली नावें, जिन्हें कानून द्वारा 5 समुद्री मील (9.26 किमी) से आगे मछली पकड़ने के निर्देश है, अक्सर ईंधन की लागत बचाने के लिए तट के करीब चलती हैं.

मांद बनाना चुनौतीः डेटा दिखाता है कि 2024 में तमिलनाडु और कोस्टा रिका, मैक्सिको और ओडिशा के रुशिकुल्या जैसे स्थान पर कछुए अंडे देते हैं. मादा कछुए हर दूसरे साल घोंसला बनाने के लिए उसी स्थान पर लौटती हैं. इस साल कछुओं के प्रवास में वृद्धि के साथ, मछली पकड़ने के जाल में उलझने के कारण अधिक मौतें दर्ज की गई हैं. मछली पकड़ने के जाल, प्लास्टिक का मलबा और प्रदूषण भी महत्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं, जिससे मौतें होती हैं.

सरकार और गैर सरकारी संगठन की पहलः तमिलनाडु सरकार ने 21 जनवरी, 2025 को मुख्य वन्यजीव सुरक्षा अधिकारी के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया. इस टास्क फोर्स में स्थानीय शासन प्रतिनिधियों के साथ-साथ पर्यावरण, मत्स्य पालन और तटीय पुलिस विभागों के अधिकारी शामिल हैं. कछुओं की मृत्यु की निगरानी और रोकथाम करना उनके प्रमुख कार्य होंगे. मछुआरों को कानूनी अनुपालन के बारे में शिक्षित करना होगा. संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने के लिए तटीय समुदायों के साथ सहयोग करना होगा.

कछुओं की पर्यावरणीय भूमिकाः समुद्री पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में कछुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कछुआ जेलीफ़िश खाकर उनकी आबादी को नियंत्रित करता है. जेलीफिश की आबादी बढ़ने से मछली को ख़तरे में डालती है. हॉक्सबिल कछुए कोरल रीफ़ में स्पंज खाते हैं, जिससे उनकी जीवन शक्ति बनी रहती है और छोटी मछलियों के लिए आवास बनते हैं. कछुओं के अंडे के छिलके और बच्चे जो जीवित नहीं रह पाते, समुद्र तट की रेत को समृद्ध करते हैं. तटीय वनस्पति और छोटे समुद्री जीवन का पोषण करते हैं.

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