गढ़वाः जिले में कई किसान दूसरे से लीज पर जमीन लेकर नई तकनीक से खेती कर रहे हैं. खेती में उपज भी अच्छी हो रही है, लेकिन बाजार में उचित भाव नहीं मिलने के कारण किसान फसलों को खेत में छोड़ने को विवश हैं.
सब्जियों का नहीं मिल रहा उचित भाव
गढ़वा शहर से सटे छतरपुर गांव के किसान हरी प्रसाद मेहता ने लगभग आठ एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं. उन्होंने मुख्य रूप से स्ट्रॉबेरी, खीरा, तरबूज, मिर्च, बैंगन और टमाटर की खेती की है. उन्होंने बताया कि टमाटर और बैंगन का बाजार भाव नहीं मिलने के कारण किसान फसलों को खेत में ही छोड़ने को मजबूर हैं.
सरकार व्यवस्था तो दे रही है, पर बाजार नहीं
किसान ने बताया कि 500 रुपये प्रति कट्ठा के हिसाब से उन्होंने लीज पर आठ एकड़ जमीन लेकर खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा सोलर पंप , ग्रीन हाउस और बीज की व्यवस्था की जाती है. खेती में उपज भी अच्छी होती है, लेकिन बाजार में कीमत नहीं मिलती है. टमाटर और बैंगन का तो बाजार भाव भी नहीं मिलता है. इसलिए खेतों में ही फसल को छोड़ दिया गया है. क्योंकि मेहनताना भी नहीं मिल पाता है. ऐसे में सरकार से मांग है कि सब्जियों के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाए.
जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि किसानों को हमलोग सरकार की योजनाओं से जोड़ तो देते हैं, पर कभी-कभी बाजार मूल्य नहीं मिलने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. यहां के किसान सब्जी हो या अन्य खेती फसल तो बढ़िया उपजा लेते हैं, पर बाजार मूल्य सबसे बड़ी समस्या है. हमलोग प्रयास कर रहे हैं कि किसानों को सब्जियों को बाजार मूल्य मिले. इसके लिए बाजार समिति में “ई नाम योजना” हो या “एफपीओ” जैसी व्यवस्था की गई है. जिसके माध्यम से किसान अपने उपज को सही भाव पा सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ समय ऐसा होता है कि एक ही समय पर एक साथ एक ही फसल भारी मात्रा में तैयार हो जाती है. जिसकी वजह से इस तरह की समस्या आ जाती है.