Friday, February 28, 2025

गढ़वा की लाइफ लाइन कही जाने वाली नदियों का निस्तारीकरण कार्य शुरू हो चुका है. अगले 6 महीने तक काम चलेगा.

Share

SARASWATI AND DANRO RIVER OF GARHWA

गढ़वा: जिले की लाइफ लाइन समझी जाने वाली दो प्रमुख नदियां दो दशक बाद अपने मूर्त रूप में आएंगी. गढ़वा शहर से होकर गुजरी दो प्रमुख नदियां सरस्वती और दानरो नदी फिर से अपने मूर्त रूप में आने लगी है. नदियों में नगर परिषद क्षेत्र में कचड़ा फेंके जाने से नदियों का अस्तित्व खो रहा था. इसे देखते हुए नगर परिषद के द्वारा नदियों की मिट्टी को निस्तारीकरण कर इसे मूर्त रूप में लाया जा रहा है. जिसके लिए आधुनिक मशीन लगाई गई है, जो कचड़ा को साफ कर रही है.

नदी के कचड़े को किया जा रहा है रिसाइकल

नदी के निस्तारीकरण को लेकर नगर परिषद ने टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया है. अब इन नदियों के सभी कचड़ा को रिसाईकल कर उससे कई प्रकार की बिल्डिंग मैटेरियल, मिट्टी, खाद निकाला जाएगा. इसके लिए नगर परिषद के द्वारा चार करोड़ का ठेका एक कंपनी को दिया गया है. जिसने अपना कार्य शुरू कर दिया है. यह काम अगले 6 महीने तक लगातार चलेगा, तब जाकर गढ़वा की दोनों नदियां अपने मूर्त रूप में लौटेंगी.

कभी इन नदियों में बहती थी कल कल धारा

गढ़वा शहर के दानरो और सरस्वती नदी में करीब 25 वर्ष पहले कल कल धारा बहती थी. नदी में सालों भर पानी का बहाव तेज धार के साथ हुआ करता था. जिसकी आवाजें आसपास के घरों तक सुनाई पड़ती थी. लेकिन जब से नदियों का अतिक्रमण होने के साथ-साथ शहर का कचड़ा फेंकना शुरू हुआ, तब से इन दोनों नदियों का अस्तित्व ही समाप्ति की कगार पर पहुंच गया. इन नदियों को अस्तित्व विहीन करने में कहीं न कहीं नगर परिषद की भी अहम भूमिका रही है. क्योंकि शहर के कचड़े को इन नदियों में ही डंप करने का काम नगर परिषद द्वारा किया गया है. लेकिन अब नगर परिषद ने ही कचड़ा सफाई अभियान शुरू कर नदियों के निस्तारीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया है.

नदियों को मूर्त रूप में लाने के लिए 2 करोड़ 34 लाख का ठेका

नगर परिषद द्वारा पहल कर इन नदियों को फिर से अस्तित्व में लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए नगर परिषद द्वारा एक वर्ष पूर्व में ही सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई थी. जिसका कार्य अब शुरू कर दिया गया है. यह काम कुमार एंड कुमार कंपनी द्वारा किया जा रहा है. इसका टेंडर 2 अगस्त 2024 को हुआ था. जिसकी लागत 2 करोड़ 34 लाख रुपए है. कचड़ा सफाई का कार्य ट्रामा मशीन के द्वारा किया जा रहा है. ऐसे में अब यह नदी कचड़ा के साथ प्रदूषण मुक्त भी हो जाएगी.

Read more

Local News