झारखंड के 45 प्रतिशत विधायकों पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं। देशभर में सबसे ज़्यादा आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के विधायक आपराधिक मामलों में शामिल हैं। बिहार तीसरे और ओडिशा चौथे स्थान पर है। झारखंड के दो विधायकों पर हत्या 19 पर हत्या का प्रयास और पांच पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। नए खुलासे के बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
रांची। राजनीति के अपराधीकरण पर अक्सर चिंता प्रकट की जाती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसी प्रवृति कम होने की बजाय राजनीति में इसका आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।
आश्चर्यजनक यह भी है कि देश की हिन्दी पट्टी के राज्यों से आरंभ हुई इस विकृति ने अब दक्षिण भारत के राज्यों में अधिक पांव पसार लिया है।
यही वजह है कि गंभीर अपराधों के मामले में शामिल विधायकों में से सर्वाधिक आंध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्य से आते हैं। फिलहाल देशभर के सीटिंग विधायकों की कुल संख्या 4092 है।
इसमें से 1861 विधायकों के विरुद्ध संगीन आपराधिक मामले चल रहे हैं। यह आंकड़ा कुल विधायकों का 45 प्रतिशत है।
इसमें 29 प्रतिशत यानि 1205 विधायकों के विरुद्ध हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के विरुद्ध अपराध के संगीन मामले दर्ज हैं।
इस सूची में तीसरे स्थान पर झारखंड का पड़ोसी बिहार और चौथे स्थान पर ओडिशा है। बिहार के 49 प्रतिशत विधायक गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।
झारखंड के ‘माननीय’ गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल होने वालों में देशभर के राज्यों के विधायकों में पांचवें स्थान पर हैं।
झारखंड के 45 प्रतिशत विधायकों के विरुद्ध गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। चुनाव आयोग को इन विधायकों द्वारा सौंपे गए शपथपत्र के आकलन के आधार पर एडीआर ने यह निष्कर्ष निकाला है।
झारखंड में दो विधायकों के विरुद्ध हत्या, 19 के विरुद्ध हत्या का प्रयास और पांच के विरुद्ध महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। उन्होंने चुनावी शपथपत्र में भी इसका उल्लेख किया है।
हालांकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से भी मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। कई मुकदमे राजनीतिक आंदोलनों के क्रम में भी होते हैं।
इनसे जुड़े मामलों का निपटारा एमपी-एमएलए कोर्ट में होता है। पूर्व में आपराधिक मामलों में अदालत द्वारा सजायाफ्ता करार दिए जाने के बाद कई विधायक अयोग्य ठहराए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय दलों तक में दबंग
आपराधिक मामलों में आरोपित विधायकों में दलों की बाध्यता नहीं है। तमाम प्रमुख राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों में ऐसे विधायक शामिल हैं।
निष्कर्ष के मुताबिक भाजपा के 1653 में से 436 यानि 26 प्रतिशत, कांग्रेस के 646 में से 194 यानि 30 प्रतिशत, तेलुगुदेशम पार्टी के 134 में से 82 यानि 86 प्रतिशत, डीएमके 132 में से 42 यानि 74 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस के 230 में से 95 यानि 41 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी के 123 में 35 और समाजवादी पार्टी के 110 में से 48 विधायकों के विरुद्ध संगीन आपराधिक मामले चल रहे हैं।
कुल 54 विधायकों के विरुद्ध हत्या, 226 विधायकों के हत्या का प्रयास और 127 विधायकों के विरुद्ध महिलाओं के विरुद्ध अपराध संबंधी मामले हैं।
झारखंड में इनके विरुद्ध चल रहे मामले
- मनोज यादव
- सत्येन्द्र नाथ तिवारी
- नीरा यादव
- कुशवाहा शशिभूषण मेहता
- प्रदीप प्रसाद
- नवीन जायसवाल
- सीपी सिंह
- चम्पाई सोरेन
- अमित कुमार यादव
- शत्रुघ्न महतो
- राज सिन्हा
- बाबूलाल मरांडी
- अमित कुमार महतो
- संजीव सरदार
- अनंत प्रताप देव
- जिगा सुसारण होरो
- दशरथ गगराई
- भूषण तिर्की
- समीर कुमार मोहंती
- चमरा लिंडा
- रामदास सोरेन
- स्टीफन मरांडी
- मो. ताजुद्दीन
- सुरेश बैठा
- शिल्पी नेहा तिर्की
- भूषण बाड़ा
- नमन विक्सल कोनगाड़ी
- प्रदीप यादव
- दीपिका पांडेय सिंह
- ममता देवी
- संजय कुमार सिंह यादव
- नरेश कुमार सिंह
- सुरेश पासवान
- संजय प्रसाद यादव
- चंद्रदेव महतो
- अरूप चटर्जी
- सरयू राय
- जनार्दन पासवान
- निर्मल महतो
- जयराम कुमार महतो