बजिंदर सिंह का जन्म हरियाणा में हुआ था. हत्या के मामले में वह पहले भी जेल जा चुका है.
चंडीगढ़: ईसाई धर्मगुरु पादरी बजिंदर सिंह को मोहाली कोर्ट ने बलात्कार के गंभीर मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस फैसले के बाद मोहाली कोर्ट के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. बजिंदर सिंह को कोर्ट ने 3 दिन पहले ही दोषी करार दिया था, जिसके बाद से वह पटियाला जेल में बंद था.
बजिंदर सिंह पर आरोप है कि उसने विदेश भेजने का झांसा देकर एक महिला को अपने घर बुलाया और वहां उसके साथ बलात्कार किया. आरोप यह भी है कि उसने बलात्कार का वीडियो बनाया और महिला को धमकी दी कि अगर उसने उसका विरोध किया तो वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा. इस गंभीर अपराध के चलते ही कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
कौन हैं पादरी बजिंदर सिंह?
बजिंदर सिंह का जन्म 10 सितंबर 1982 को हरियाणा के यमुनानगर में एक जाट परिवार में हुआ था. उनकी वेबसाइट के अनुसार, उनके पिता एक किसान थे और सरकारी नौकरी भी करते थे. बजिंदर सिंह का दावा है किदेशभर में उनके 250 से ज्यादा चर्च हैं, जिनकी सबसे बड़ी शाखा मोहाली जिले के न्यू चंडीगढ़ में स्थित है. इसके अलावा, बजिंदर सिंह जालंधर जिले के ताजपुर गांव में ‘ग्लोरी ऑफ विजडम चर्च’ नामक एक चर्च भी चलाते हैं.
जेल में ईसाई धर्म अपनाया
बजिंदर सिंह का अतीत भी विवादों से भरा रहा है. बताया जाता है कि करीब 15 साल पहले एक हत्या के मामले में जेल में रहते हुए उन्होंने ईसाई धर्म अपनाया था. 18 महीने जेल में बिताने के बाद, वह बाहर आए और ईसाई धर्म का प्रचार करने लगे और लोगों को अपने साथ जोड़ने लगे. इस दौरान, उन्होंने कई चर्चों का निर्माण करवाया.
अपनी वेबसाइट पर बताते हैं अपनी कहानी
बजिंदर सिंह ने अपनी खुद की वेबसाइट (पैगंबर बजिंदर सिंह मंत्रालय) भी बनाई है, जहां वह अपने बारे में जानकारी साझा करते हैं. वह लिखते हैं कि आठवीं कक्षा से ही कुछ बुरी शक्तियां उन्हें परेशान करती थीं, जिसके कारण उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था. वह गलत संगत में पड़ गए और कई लोगों से मारपीट भी की. एक बड़े झगड़े के कारण वे डेढ़ साल जेल में रहे, जिसके बाद उन्होंने ईश्वर की तलाश शुरू की. उन्होंने यह भी लिखा है कि जेल में उन्हें राक्षसी शक्तियां दिखाई देती थीं, जो उन्हें पीटती थीं, जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश की.
अपनी वेबसाइट पर आगे बजिंदर सिंह लिखते हैं, “मेरे माता-पिता और रिश्तेदार भी जेल में मुझसे अलग हो गए थे, इसलिए मैं डिप्रेशन के कारण मरने के बारे में सोचता था और रात को मुझे बहुत डर लगता था, मैं पूरी रात जागता रहता था और जब मुझे डर लगता था, तो मैं सभी देवताओं का नाम लेता था, लेकिन फिर भी बुरी शक्तियां मुझे परेशान करती थीं. फिर किसी ने मुझे एक बाइबिल दी. बाइबिल में लिखा था → इधर-उधर मत देखो, मैं तुम्हारे साथ हूं. रात में मुझे जो भी बुरी शक्तियां दिखाई देती थीं, वे मर जाती थीं और फिर कभी दिखाई नहीं देती थीं. फिर मैं बीमार हो गया और मेरा खून 7 ग्राम रह गया. एक पुजारी ने मेरे लिए प्रार्थना की और 2 घंटे में मेरा खून खत्म हो गया, फिर मैंने उपवास रखा और प्रार्थना करता रहा कि प्रभु प्रकट हों और मैं न मरूं. इसके बाद मुझे बरी कर दिया गया.”
लोगों को ठीक करने का दावा
बजिंदर सिंह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और उनके लाखों फॉलोअर्स हैं. अकेले यूट्यूब पर उनके 3.74 मिलियन सब्सक्राइबर हैं. वह अक्सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी सभाओं के वीडियो साझा करते रहते हैं. बजिंदर सिंह तब विशेष रूप से चर्चा में आए, जब उन्होंने अपनी प्रार्थनाओं से लोगों की बीमारियों को ठीक करने का दावा करना शुरू कर दिया. इनमें से ज़्यादातर मरीज एचआईवी से पीड़ित, मूक-बधिर और चलने-फिरने में असमर्थ लोग थे.
पहले भी विवादों में रहे
बजिंदर सिंह पहले भी कई विवादों में घिरे रहे हैं. 31 जनवरी 2023 को उनके चर्च पर छापा भी पड़ा था. इस दौरान, उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भविष्यवाणी की थी कि ऑनलाइन प्रार्थना में शामिल होने वाले लोगों की आर्थिक समस्याएं 7 दिनों के भीतर दूर हो जाएंगी और उनका कारोबार बढ़ेगा.