मल्टीग्रेन आटे की रोटियां आम तौर पर सिंगल-ग्रेन चपातियों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद मानी जाती हैं, जानिए इसके पीछे का कारण…

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सिंगल ग्रेन और मल्टी ग्रेन आटे में अंतर
कौन से आटे की चपाती स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है?
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- चपाती हर घर में हर दिन बनाई जाती है. यह भारतीय खाने का एक प्रमुख हिस्सा है. कई लोगों का खाना चपाती के बिना अधूरा रहता है. खाने में चावल न हो तो भी चपाती जरूर होती है. भारत में गेहूं के आटे की चपातियों का सेवन बड़ी मात्रा में किया जाता है. लेकिन गेहूं में बड़ी मात्रा में ग्लूटेन होता है. इस वजह से ज्यादातर लोग गेहूं की चपातियां खाने से परहेज करते हैं.
- मोटापे से ग्रस्त लोग रोटी खाना भी बंद कर देते हैं. हालांकि ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है. कई लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि सेहत के लिहाज से कौन सी चपाती बेहतर है. ज्यादातर लोग मल्टीग्रेन चपातियों को सबसे अच्छा मानते हैं. ऐसे में आज इस खबर के माध्यम से जानेंगे कि सिंगल ग्रेन या मल्टी ग्रेन आटे से बनी चपाती सेहत के लिए फायदेमंद होती है.
- सिंगल ग्रेन और मल्टी ग्रेन आटे में अंतरजैसा कि नाम से ही पता चलता है, सिंगल ग्रेन आटा एक ही तरह के अनाज से बनता है. (अधिकांश लोग गेहूं के आटे का ही इस्तेमाल करते हैं) वहीं, मल्टीग्रेन आटा दो से अधिक अनाजों के मिश्रण से बना आटा होता है. बता दें, मल्टीग्रेन आटा अलग-अलग अनाज और बीजों को मिलाकर बनाया जाता है. जैसे कि गेहूं, बाजरा, जई, चना, जौ, मक्का आदि. मल्टीग्रेन आटे में कई पोषक तत्व होते हैं. इसलिए इस आटे की पौष्टिकता अधिक होती है.
- कौन से आटे की चपाती स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है?मल्टीग्रेन आटे और सिंगल ग्रेन आटे के बीच चुनाव करते समय आहार संबंधी आवश्यकताओं और बजट पर विचार करना महत्वपूर्ण है. दोनों प्रकार के आटे में अलग-अलग स्वास्थ्य लाभ हैं. मल्टीग्रेन आटे में कई अनाजों का मिश्रण होता है जिससे इसमें अधिक पोषक तत्व और फाइबर होते हैं. सिंगल ग्रेन आटे में एक ही अनाज होता है, जैसे कि गेहूं, ज्वार या बाजरा, जो पाचन में आसान हो सकते है. पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, मल्टीग्रेन चपाती का ग्लाइसेमिक इंडेक्स पारंपरिक गेहूं की चपाती की तुलना में कम होता है. मल्टीग्रेन चपाती खाने से ब्लड शुगर के स्तर को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. ऐसे में देखा जाए तो स्वास्थ्य के लिए, मल्टीग्रेन आटे से बनी रोटियां सिंगल-ग्रेन चपातियों की तुलना में अधिक फायदेमंद होती हैं.
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