हजारीबाग में सांपों को बचाने और पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल कायम हुई है। पर्यावरणविद् डॉ. सत्य प्रकाश ने 25 वर्षों की कड़ी मेहनत से सांपों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अद्वितीय प्रयास किए हैं। उनके कार्यों के कारण ही वे झारखंड वाइल्डलाइफ बोर्ड के सदस्य और एशियन वाटर बर्ड सेंसेक्स के स्टेट को-आर्डिनेटर बने हैं।
हजारीबाग। सांपों को विभिन्न संस्कृतियों में सर्प देवता के रूप में माना और पूजा जाता है। वहीं, पर्यावरण संरक्षण में इनकी भूमिका भी अहम होती है, लेकिन सांप का नाम सुनते ही आमतौर पर डर और खौफ का अहसास भी होता है।
लोग सांप दिखने पर उसे मारना ही पहला विकल्प मानते हैं, लेकिन हजारीबाग में सांपों को बचाने और पर्यावरण संरक्षण की ऐसी मिसाल कायम हुई है कि अब शायद ही सांप को मारे जाने की घटनाएं सुनाई देती हैं।
यह परिवर्तन संभव हुआ है पर्यावरणविद् डा. सत्य प्रकाश की 25 वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण। डा. सत्य प्रकाश, जो एक निजी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं।
उन्होंने सांपों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अद्वितीय प्रयास किए हैं। उनके कार्यों के कारण ही वे झारखंड वाइल्डलाइफ बोर्ड के सदस्य और एशियन वाटर बर्ड सेंसेक्स के स्टेट को-आर्डिनेटर बने हैं।झारखंड में जहां भी सांपों को लेकर जागरूकता की बात आती है तो सबसे पहला नाम डा. सत्य प्रकाश का आता है। उन्होंने झारखंड-बिहार में इस विषय पर 300 से अधिक कार्यशाला में भाग लिया है।
वन विभाग के प्रत्येक जागरूकता कार्यक्रम में उनकी संस्था शामिल रहती है। बल्कि एक तरह से मार्गदर्शक बनकर काम करती है। उनके द्वारा सांपों को बचाने के लिए पूरे झारखंड में 200 से अधिक टीम तैयारी की गई हैं
नौंवी कक्षा से शुरू हुआ सफर
डा. सत्य प्रकाश ने पहली बार कक्षा नौ में एक करैत सांप को बचाया था। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब तक वे खुद 1,000 से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं।उनकी टीम के प्रयास से सैकड़ों सांपों को सुरक्षित बचाया गया है। उन्होंने 2007-08 में नीयो ह्यूमन फाउंडेशन की स्थापना की, जो वन्यजीव संरक्षण और जागरूकता फैलाने के लिए काम करती है।सांपों और वन्यजीवों को बचाने के लिए डा. सत्य प्रकाश ने अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों में सांपों की प्रजातियों की पहचान के लिए पोस्टर और ब्रोशर लगवाए।इससे सर्पदंश के मामलों में उचित उपचार और सांपों की पहचान में मदद मिलती है। उन्होंने गांव-गांव जाकर कार्यशाला और जागरूकता अभियान चलाए।इन अभियानों के माध्यम से लोगों को बताया गया कि सांप पारिस्थितिक तंत्र के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। उनके प्रयासों को देखते हुए वन विभाग ने उन्हें फारेस्ट गार्ड्स को सांपों को सुरक्षित पकड़ने और रेस्क्यू करने का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी सौंपी।
पारिस्थितिकी तंत्र में सांपों की भूमिका
सांप पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। डा. सत्य प्रकाश बताते हैं कि सांप चूहों, कीड़ों और अन्य छोटे जीवों का शिकार करते हैं। इससे कृषि भूमि में चूहों की संख्या नियंत्रित रहती है, जिससे फसलों को नुकसान नहीं होता।इससे कीटनाशकों का उपयोग भी कम होता है, जो पर्यावरण के लिए लाभदायक है। इसके अलावा उनके जहर से दवाएं भी बनाई जाती हैं।