नई दिल्ली: कृषि विशेषज्ञों और किसानों ने कहा कि बजट उनकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं है. इसमें कृषि क्षेत्र के लाभ के लिए कई चीजें जोड़ी जानी चाहिए थीं. कृषि से जुड़े केंद्रीय बजट पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कृषि विशेषज्ञ और किसान नेता धर्मेंद्र मलिक ने ईटीवी भारत से कहा कि किसानों के लिए बजट में कुछ भी नया नहीं है, सिवाय किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने के. यह साफ दिख रहा है कि किसानों की चिंताएं सिर्फ जुबानी जमाखर्च में ही दिख रही हैं. सरकार सिर्फ दिखावटी बातें करती है.
मलिक ने कहा कि किसानों को बजट से चार उम्मीदें थीं, लेकिन इसमें किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, किसान सम्मान निधि को दोगुना करने, फसल बीमा योजना में किसानों के योगदान को कम करने और सस्ते कर्ज की सीमा बढ़ाने जैसे मुद्दों को नहीं छुआ गया.
कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए ईटीवी भारत से कहा कि मुझे बजट से ज्यादा उम्मीद नहीं है. पिछले तीन-चार साल के बजट को देखें तो चीजें एक जैसी ही हैं. सरकार ने केसीसी की ऋण सीमा बढ़ा दी है, लेकिन उत्पादकता स्थिर है, तो उस पैसे का क्या फायदा. अगर आप ज्यादा पैसा भेजेंगे और वही कृषि उपज मिलेगी तो यह किसान के लिए नुकसानदेह होगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 में कहा कि सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ शुरू करेगी. इस योजना में कम उत्पादकता, मध्यम फसल गहनता और औसत से कम ऋण मापदंडों वाले 100 जिले शामिल होंगे. इससे 1.7 करोड़ किसानों को मदद मिलेगी.
सीतारमण ने कहा कि सरकार अब तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान देने के साथ 6 साल का ‘दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन’ शुरू करेगी. यह उत्पादकता में सुधार, घरेलू दलहन उत्पादन, किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और जलवायु लचीले बीजों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा.
कृषि विशेषज्ञ और किसान सुखविंदर कौर ने ईटीवी भारत से कहा कि ऋण सीमा बढ़ाना किसानों के लिए समाधान नहीं है. उन्हें अपनी कृषि उपज और एमएसपी के लिए वैध मूल्य चाहिए, लेकिन सरकार इसे प्रदान नहीं करती है.
सीतारमण ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के लिए अल्पकालिक ऋण की सुविधा प्रदान करता है. संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत ऋण के लिए केसीसी ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाएगी.
राज्यों के साथ साझेदारी में एक व्यापक बहु-क्षेत्रीय ‘ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन’ कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. यह कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के माध्यम से कृषि में कम रोजगार को संबोधित करेगा.
इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त अवसर पैदा करना है ताकि पलायन एक विकल्प हो, लेकिन एक आवश्यकता नहीं. केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह किसानों और मेहनतकश लोगों पर सरासर हमला है, क्योंकि इसमें न तो एमएसपी है, न ही कर्जमाफी, खाद सब्सिडी में कमी और न ही मनरेगा में कोई बढ़ोतरी.
किसान नेता योगेंद्र यादव ने एक वीडियो संदेश में कहा कि बजट में किसानों की चार मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है. हालांकि, केंद्रीय बजट की तारीफ करते हुए सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि आज पेश किए गए ‘केंद्रीय बजट 2025-26’ में पीएम नरेंद्र मोदी का वादा फिर से पूरा हुआ है.
सीएम ने कहा कि यह बजट समाज के मध्यम वर्ग और मजदूर वर्ग के उत्थान के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि इसमें 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. साय ने कहा कि यह ऐसा बजट है जिसका सीधा फायदा देश और प्रदेश के करोड़ों मध्यम वर्गीय परिवारों को मिलेगा.
सीएम साय ने कहा कि मोदी सरकार ने इस बजट में किसानों के उत्थान के लिए दूरगामी नीतियां बनाई हैं. उन्होंने कहा कि बजट में किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने का निर्णय सराहनीय है. उन्होंने आगे कहा कि भारत के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए 200 डे केयर कैंसर सेंटर स्थापित किए गए हैं और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 36 जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह से कर से छूट दी गई है.