Saturday, April 26, 2025

किराए के मकान में रहने वाले रेंट देने से पहले करें ये काम, वरना लग सकता है जुर्माना

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किराएदार को रेंट एग्रीमेंट, किराए की रसीदें और TDS भुगतान के प्रमाण जैसे सभी जरूरी दस्तावेज ठीक तरह से रखने चाहिए.

नई दिल्ली: हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक नया ब्रोशर जारी किया था. इसमें इनकम टैक्स कानून की धारा 194-IB के बारे में डिटेल से बताया गया था. इस धारा के तहत किराएदार की जिम्मेदारी है कि वह मकान के किराए से टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) काटे. यह टैक्स मकान मालिक को किराया देने से पहले काटना होगा.

इसमें कहा गया है कि इससे टैक्स अधिकारियों को मकान मालिक की किराए से होने वाली इनकम पर नजर रखने में मदद मिलती है. हालांकि, TDS काटने का यह नियम तभी लागू होती है, जब आपका मासिक किराया 50 हजार रुपये से ज्यादा हो.

TDS न काटने या जमा न करने क्या होगा?
धारा 194IB के तहत कर न काटने पर व्यक्ति यानी किराएदार को डिफॉल्ट करने वाला करदाता माना जा सकता है. इसके अलावा, कर न काटने पर ब्याज और जुर्माना भी देना होगा.इसके अलावा, जो टैक्स नहीं काटा गया, उसे किराएदार से वसूला जा सकता है.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक इस संबंध में एसएम मोहनका एंड एसोसिएट्स के पार्टनर और TaxAaram.com के संस्थापक चार्टर्ड अकाउंटेंट मयंक मोहनका ने कहा, “टीडीएस जमा न करने पर धारा 201(1)/(1A) के तहत कार्यवाही शुरू हो सकती है, जिसमें ऐसे व्यक्ति को डिफॉल्ट करने वाला करदाता माना जा सकता है. नतीजतन, ऐसे व्यक्ति को डिफॉल्ट अवधि के लिए 2.5 पर्सेंट प्रति माह की दर से दंडात्मक ब्याज के साथ डिफॉल्ट टीडीएस राशि का भुगतान करना होगा.”

मोहनका इस समस्या का संभावित समाधान बताते हुए कहा, “यदि ऐसा व्यक्ति नियम 31ACB के अनुसार फॉर्म 26A में CA का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है, जिसमें यह बताया गया हो कि मकान मालिक ने अपनी आयकर रिटर्न में ऐसी किराए की आय को विधिवत आयकर के लिए प्रस्तुत किया है और ऐसी किराए की आय पर देय कर का भुगतान किया है, तो ऐसे व्यक्ति को चूककर्ता करदाता नहीं माना जाएगा, लेकिन, फिर भी ऐसे व्यक्ति को उस डेट से जब टीडीएस जमा किया जाना था, मकान मालिक द्वारा देय कर के भुगतान की तारीख तक ऐसे किराए की आय पर 1 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज का भुगतान करना होगा.”

टीडीएस न काटने और जमा न करने के परिणाम
मोहनका कहते हैं कि किराए पर टीडीएस न काटने और जमा न करने का एक गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसमें धारा 276बी के तहत अभियोजन कार्यवाही की शुरुआत हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप 3 महीने से लेकर 7 साल तक की कैद भी हो सकती है, अगर ऐसा व्यक्ति तिमाही टीडीएस रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख तक टीडीएस काटने और जमा करने में विफल रहता है, जिसमें किराए का भुगतान किया गया था.

हालांकि, कोई व्यक्ति यह साबित कर दे कि धारा 278AA के प्रावधानों के अनुसार टीडीएस की कटौती न करने के पीछे वास्तविक और उचित कारण था, तो अभियोजन कार्यवाही से बचा जा सकता है.”

जुर्माने से कैसे बचें?
किराएदार को रेंट एग्रीमेंट, किराए की रसीदें और TDS भुगतान के प्रमाण जैसे सभी जरूरी दस्तावेज ठीक तरह से रखने चाहिए. समय पर TDS काटने और जमा करने से आप अनावश्यक जुर्माने से बच सकते हैं और टैक्स नियमों का पालन आसानी से हो सकता है.”

क्या है फॉर्म 26QC?
फॉर्म 26QC एक त्रैमासिक डिटेल है जो भारतीय आयकर अधिनियम (ITA) की धारा 200(3) के तहत की गई कर कटौती की रूपरेखा प्रस्तुत करता है. यह तिमाही के अंत में वेतन से संबंधित है. इससे पता चलता है कि नियोक्ता ने कर्मचारियों को कितना वेतन दिया है और उनके वेतन से कितना टैक्स काटा गया है. फॉर्म 24Q में वेतन का विवरण और काटे गए टीडीएस की जानकारी भी दी जाती है.अगर कोई कर नहीं काटा गया है या काटा गया कर आवश्यकता से कम है, तो इसका कारण स्पष्ट करना होगा।

फॉर्म 26QC कैसे भरें?
NSDL की वेबसाइट www.tin-nsdl.com पर जाएं. इसके बाद‘सर्विसेज’ सेक्शन में जाएं और ‘TDS ऑन प्रॉपर्टी (194IA)’ चुनें. यहां TDS ऑन प्रॉपर्टी सेक्शन में फॉर्म 26QC चुनें और फिर TDS ऑन प्रॉपर्टी के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने का विकल्प चुनें.

इसके बाद संपत्ति खरीदने और बेचने वाले की डिटेल दें. इसमें खरीदार का PAN, विक्रेता का PAN दें. इसके बाद लेनदेन की तारीख, संपत्ति की कुल बिक्री कीमत, भुगतान का प्रकार, संपत्ति का प्रकार, पेमेंट की डिटेल आदि की जानकारी सबमिट करें.

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