Wednesday, April 23, 2025

कब है परशुराम जयंती? जानें मनाने की सही विधि और शुभ मुहूर्त

Share

भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के घर प्रदोष काल में हुआ था। उन्हें चिरंजीवी माना जाता है, अर्थात वे आज भी धरती पर विद्यमान हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती मनाई जाती है. आइए हम तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं…

जब-जब संसार में अधर्म और अन्याय अपनी सीमाएं पार करता है, तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर संतुलन स्थापित करते हैं. परशुराम जी इन्हीं दिव्य अवतारों में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. वे एक महान योद्धा, अपार ज्ञान के धारक और धर्म की रक्षा करने वाले के रूप में पूजनीय हैं

परशुराम जी को ‘चिरंजीवी’ कहा जाता है, अर्थात् वे अमर हैं और आज भी जीवित होकर गहन तप में लीन हैं. यह भी माना जाता है कि जब पृथ्वी पर अराजकता अपनी चरम सीमा पर पहुंचेगी, तब वे पुनः प्रकट होकर अधर्म का अंत करेंगे.

परशुराम जयंती 2025 कब है?

हर साल परशुराम जी की जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल यानी 2025 में परशुराम जयंती 29 अप्रैल को मनाई जाएगी. आइए जानें इस खास दिन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी.

परशुराम जयंती 2025: तारीख और शुभ मुहूर्त

  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025, शाम 5:31 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025, दोपहर 2:12 बजे

बन रहे हैं शुभ योग: मिलेगा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

इस बार परशुराम जयंती पर दो खास योग बन रहे हैं-

  • त्रिपुष्कर योग
  • सर्वार्थ सिद्धि योग
  • इन दोनों योगों का समय करीब 3 मिनट 54 सेकंड तक रहेगा. मान्यता है कि इन योगों में यदि श्रद्धा से परशुराम जी की पूजा की जाए, तो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है – धन, वैभव और सुख-समृद्धि बढ़ती है.

ऐसे करें परशुराम जयंती के दिन पूजा

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और ध्यान लगाएं.
  • स्नान करते समय जल में थोड़ा गंगाजल मिलाएं और शुद्ध होकर स्नान करें.
  • सूर्य देव को अर्घ्य दें – तांबे के लोटे से जल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
  • व्रत रखें – जो लोग सक्षम हों वे इस दिन उपवास करके प्रभु का ध्यान करें.
  • परशुराम मंत्रों का जाप करें और उनसे क्षमा याचना करें.

भगवान परशुराम की शिक्षा: सबको जोड़ने का संदेश

परशुराम जी की शिक्षाओं में सबसे महत्वपूर्ण संदेश था – “एकता और समानता का भाव”. वे हमेशा यह प्रेरणा देते थे कि समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए. व्यक्ति चाहे किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या सामाजिक स्थिति से संबंध रखता हो, उसे समान दृष्टि से देखा जाना चाहिए.

उनका संपूर्ण जीवन इस बात का प्रतीक है कि धर्म की रक्षा के लिए केवल शक्ति ही नहीं, बल्कि समर्पण और विवेक भी आवश्यक हैं. परशुराम जयंती महज एक पर्व नहीं, बल्कि यह एक प्रेरणा है – जो हमें याद दिलाती है कि धर्म के मार्ग पर अडिग रहना है और जब आवश्यक हो, तो अन्याय के विरुद्ध डटकर खड़ा होना है. इस दिन का वास्तविक संदेश है – परशुराम जी की भांति साहसी, ज्ञानी और धर्मपरायण बनने की प्रेरणा लेना.

Read more

Local News