अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के बाजार में बड़ा बदलाव होने वाला है.
नई दिल्ली: ट्रंप प्रशासन के चुनिंदा देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जो कि एक सप्ताह में ही लगभग 10 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई है, जबकि तेल को टैरिफ से बाहर रखा गया है. तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई, जो कि 3 फीसदी से अधिक की गिरावट है, जो पिछले सप्ताह के भारी नुकसान में और इजाफा करती है.
ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट आ रही है और यह अब 65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है, जो पिछले चार सालों में सबसे कम है. लेकिन कीमत में अचानक इतनी गिरावट क्यों आई है? इस बदलाव के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय कारण हैं. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस कीमत में गिरावट का सीधा असर भारतीय नागरिकों की जेब पर पड़ेगा.
तेल की कीमतों में गिरावट क्यों आई?
कई रिपोर्ट के अनुसार तेल की कीमतों में गिरावट के दो मुख्य कारण हैं. पहला, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता पैदा कर दी है. दूसरा ओपेक देशों की सदस्यता का विस्तार करने के निर्णय ने बाजार में तेल की अधिक आपूर्ति का कारण बना है. नतीजतन कीमतें दिन-ब-दिन गिर रही हैं. सूत्रों का कहना है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 2021 के मध्य से इतनी कम नहीं हुई हैं.
भारत पर इसका क्या असर हो सकता है?
भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक है. इसलिए वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से देश पर आर्थिक दबाव कम हो सकता है. आयात लागत कम होने से महंगाई को नियंत्रण में लाने में मदद मिल सकती है. कुल मिलाकर यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इसका लाभ आम लोगों तक पहुंचेगा?
क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटेंगी?
वैसे तो वैश्विक तेल की कीमतें गिर रही हैं. लेकिन भारत में फ्यूल की कीमतें जल्द ही कम नहीं होंगी. उदाहरण के लिए कोलकाता में पेट्रोल की कीमत 105.01 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 91.82 रुपये प्रति लीटर है. 2021 में, जब कच्चे तेल की कीमतें इसी तरह कम थी. तब पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये और डीजल की कीमत 88.01 रुपये थी.
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोडक्शन में बढ़ोतरी, परिवहन लागत और भारी करों के कारण घरेलू फ्यूल की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. इसलिए सस्ते कच्चे तेल के साथ भी भारतीय फ्यूल की कीमतें कम नहीं हो सकती हैं.
भविष्य में क्या होगा?
वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है. लेकिन यह अभी भी अनिश्चित है कि इसका लाभ आम आदमी तक कब पहुंचेगा. भविष्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार की कर नीति और तेल कंपनियों के लाभ मार्जिन पर निर्भर करेंगी. अभी के लिए हम बस इंतजार कर सकते हैं और देख सकते हैं.