Friday, May 2, 2025

कई साल से फरार नक्सली बसंत पासवान ने किया कोर्ट में सरेंडर, भाकपा माओवादी का था बड़ा चेहरा

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औरंगाबाद में नक्सली बसंत पासवान और किशोर की हत्या मामले में फरार आरोपी ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है. पुलिस द्वारा दी गई कुर्की की चेतावनी के बाद दोनों ने अपने-अपने अपराधों के लिए समर्पण किया. पुलिस इन मामलों की गहन छानबीन कर रही है.

बिहार में नक्सल विरोधी अभियान का दबाव रंग ला रहा है. गुरुवार को औरंगाबाद कोर्ट में दो अहम सरेंडर हुए. एक तरफ भाकपा माओवादी से जुड़ा कुख्यात हार्डकोर नक्सली बसंत पासवान कानून के सामने नतमस्तक हुआ, वहीं किशोर की हत्या मामले में फरार चल रहे श्रवण राम ने भी आत्मसमर्पण कर दिया.

पुलिस दबाव के आगे टूटा नक्सली नेटवर्क

बसंत पासवान, जो कभी मदनपुर क्षेत्र में भाकपा माओवादी का बड़ा चेहरा था, आखिरकार पुलिस की लगातार दबिश के बाद कोर्ट में आत्मसमर्पण कर बैठा. वह 2000 से 2014 तक सक्रिय रहा और उस पर मदनपुर थाना क्षेत्र में लेवी वसूली, धमकी और संगठन विस्तार जैसे गंभीर आरोप थे. डीएसपी ट्रैफिक मनोज कुमार के अनुसार, उसके खिलाफ सिर्फ मदनपुर थाने में पांच संगीन केस दर्ज हैं, जिनमें आर्म्स एक्ट और सीएलए एक्ट की धाराएं शामिल हैं.

बैकफुट पर माओवादी, पुलिस ने कसा शिकंजा

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लंबे समय से नक्सल विरोधी अभियान के तहत चल रहे ऑपरेशन से नक्सली मोर्चे पर हताशा है. कई गिरफ्तारियां और अब आत्मसमर्पण इस बात का संकेत हैं कि माओवादी नेटवर्क पर पुलिस की पकड़ मजबूत हो चुकी है.

किशोर हत्याकांड का आरोपी भी कोर्ट में आया सामने

दो महीने पहले कुटुंबा थाना क्षेत्र के एरका गांव में 12 वर्षीय अंकित की निर्मम हत्या के बाद इलाके में सनसनी फैल गई थी. परिजनों के बयान पर छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. पुलिस ने पांच को गिरफ्तार कर लिया, पर मुख्य आरोपी श्रवण राम फरार था. हाल ही में कुर्की-जब्ती के बाद दबाव में आकर उसने भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

चार दिन तक लापता था मासूम, खेल मैदान के पास मिला शव

मामले की जड़ें 23 फरवरी की शाम से जुड़ी हैं, जब अंकित समोसा खाने निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा. चार दिन बाद उसका शव गांव के बाहर बधार में मिला, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. जांच में पता चला कि पुरानी रंजिश के चलते उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.

SIT गठित, सख्ती से कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी अंबरीश राहुल के निर्देश पर विशेष जांच दल (SIT) का गठन हुआ. SIT की तत्परता से न सिर्फ आरोपियों की गिरफ्तारी संभव हुई, बल्कि फरार श्रवण राम ने भी सरेंडर करना बेहतर समझा.

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