Thursday, May 15, 2025

 ऑनलाइन मंगाये गये सामान के डब्बे के बारकोड से साइबर ठगी

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Bokaro News

ऑनलाइन खरीदारी करनेवाले सावधान ! आप साइबर अपराधियों के रडार पर हैं. डिलीवरी के बाद डब्बे से सामान निकालने के बाद अक्सर लोग डब्बे को फेंक देते हैं. ध्यान नहीं देते हैं कि डब्बे पर बारकोड रैपर चिपका रह जाता है. जो साइबर ठगों के हाथ में पहुंच जाता है. फेंके गये डब्बे पर अंकित बारकोड को साइबर अपराधी जमा कर लेते हैं. स्कैन कर सारी जानकारी इकट्ठा करते ही साइबर खेल शुरू कर देते हैं. कई तरह के लुभावने ऑफर ई-मेल, टेक्सट मैसेज आदि के माध्यम से भेजते हैं. लोभ-लालच के चक्कर में आम लोग ऑफर को स्वीकार कर लेते हैं और साइबर फ्राड के शिकार हो जाते हैं. ऑनलाइन सामान खरीदारी के बाद डब्बे को फेंकते वक्त ध्यान रखें. जिस कागज पर बारकोड अंकित रहता है. उस कागज को बारिक फाड़ दें, ताकि किसी तरह से बारकोड का स्कैन नहीं किया जा सके. बोकारो में लगातार पकड़े जा रहे साइबर अपराधियों से इस तरह के साइबर फ्राड का खुलासा हो रहा है. लगातार आम लोगों को साइबर सेल की ओर से आगाह किया जा रहा है.

फ्री-रीचार्ज के नाम पर हो रही ऑनलाइन ठगी :

व्हॉट्सएप ग्रुप पर फ्री रिचार्ज के तीन मैसेज आये, तो झांसे में नही आयें. यह मैसेज टेलीकॉम कंपनियों का नहीं, बल्कि साइबर ठगों का है. मैसेज में भेजे गये लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल का डाटा लीक हो जायेगा. इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इस तरह की शिकायत बोकारो के विभिन्न थानों में रोजाना आ रही है. शिकायत करने वाले बताते हैं कि लिंक क्लिक करते ही मोबाइल हैंग हो जाता है. कई लोग मैसेज की पुष्टि के लिए साइबर सेल तक जाते हैं.

बोले साइबर एक्सपर्ट :

सोशल इंस्पेक्टर सह साइबर एक्सपर्ट, बोकारो खुर्शीद आलम ने कहा कि सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कहा गया है कि सिम की विभिन्न कंपनी तीन माह के फ्री-रीचार्ज की स्कीम निकाली है. फ्री-रीचार्ज का लाभ ले सकते हैं. ऑफर सिर्फ सीमित है. इसके बाद लाभ नहीं मिलेगा. साइबर एक्सपर्ट के अनुसार इस तरह के फर्जी मैसेज के झांसे में नही आयें. ठग मोबाइल का डाटा चुराने के लिए मैसेज के साथ लिंक भेज रहे हैं. सावधान व सतर्क रहें, ताकि किसी परेशानी में फंसने से बच सके.

इंस्पेक्टर सह साइबर एक्सपर्ट, बीएस सिटी थाना सुदामा कुमार दास साइबर ठगी के शिकार होने पर साइबर सेल को जानकारी जरूर दें. ध्यान रखें कि साइबर ठगी के शिकार होने से पहले सावधानी बरतें. ओटीपी, मोबाइल नंबर, ई-मेल आइडी, पासवर्ड सहित अन्य डिजिटल गुप्त सूचना किसी से भी साझा नहीं करें. संस्थान की तरफ से मांगने पर तुरंत संबंधित संस्थान या पुलिस से संपर्क करें. किसी तरह की परेशानी का शक होने पर घरवालों से भी साझा करें, ताकि परेशानी को समय पर दूर किया जा सके. साथ ही आप ठगी के शिकार होने से बच सकें

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