याचिकाकर्ता ने कहा है कि उनके परिवार को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि वे भारतीय नागरिक हैं.
नई दिल्ली: बेंगलुरु में काम करने वाले एक कश्मीरी व्यक्ति ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों को जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अहमद तारिक बट ने अधिवक्ता नंद किशोर के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि उन्हें और उनके परिवार के अन्य 5 सदस्यों को 25 अप्रैल को श्रीनगर में विदेशी पंजीकरण कार्यालय से एक नोटिस मिला.
याचिका में कहा गया है कि व्यक्तिगत नोटिसों में, एफआरओ ने अवैध रूप से और निराधार रूप से दावा किया है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसके परिवार के सदस्यों ने वर्ष 1997 में भारत में प्रवेश किया और उनके वीजा रद्द किए जाने के बाद उन्हें भारत छोड़ने होगा, क्योंकि वे पाकिस्तानी नागरिक हैं.
याचिकाकर्ता भट का परिवार श्रीनगर में रहता है. याचिकाकर्ता के वकील ने गुरुवार को जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया. वकील के अनुसार, मामले की सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है.
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के पिता, माता, बहन और उसके छोटे भाई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 29 अप्रैल को रात करीब 9 बजे अवैध रूप से गिरफ्तार किया और उन्हें 30 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 12.20 बजे भारत-पाकिस्तान सीमा पर ले जाया गया और उन्हें सीमा से भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि वे भारतीय नागरिक हैं, लेकिन उन्हें निर्वासित किया जा रहा है.
याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता एक भारतीय नागरिक है जिसके पास वैध भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड है. याचिकाकर्ता के परिवार में उसके पिता तारिक मुश्कूर बट, उसकी मां नुसरत बट, उसकी बड़ी बहन आयशा तारिक, उसका छोटा भाई अबूबकर तारिक बट और एक अन्य छोटा भाई उमर तारिक बट शामिल हैं.”
याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता का परिवार वर्ष 1997 तक मीरपुर का निवासी था और उसके पिता 1997 में श्रीनगर शहर में आकर बस गए. याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता सहित परिवार के अन्य सदस्य वर्ष 2000 में मीरपुर से श्रीनगर शहर में चले आए. याचिकाकर्ता और उसका परिवार सभी भारतीय नागरिक हैं और उनके पास गृह मंत्रालय द्वारा जारी भारतीय पासपोर्ट हैं और वे भारतीय नागरिक हैं. याचिकाकर्ता और उसके भाई-बहन सभी ने श्रीनगर के एक निजी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की है.”
याचिकाकर्ता ने आईआईएम केरल से एमबीए किया है. याचिकाकर्ता ने अपने परिवार के सदस्यों को विदेशी पंजीकरण कार्यालय, श्रीनगर की हिरासत से रिहा करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपने परिवार को जारी किए गए निर्वासन नोटिस को रद्द करने की भी मांग की.