माना जाता है कि अपराजिता का फूल शनि देव को बहुत पसंद है. यह फूल शनिदेव की कृपा पाने का मार्ग प्रशस्त करता है.
भारतीय संस्कृति में प्रकृति के हर रूप का अपना महत्व है, और फूल इनमें विशेष स्थान रखते हैं. इन्हीं फूलों में से एक है नीला अपराजिता, जिसे अपराजिता, विष्णुकांता या गोकर्णी के नाम से भी जाना जाता है. यह न केवल अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका गहरा महत्व है. वास्तु एक्सपर्ट और ज्योतिषाचार्य पंडित अजय उपाध्याय का कहना है कि, नीला अपराजिता शनिदेव की कृपा पाने और शनि दोष से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है
शनि देव को प्रिय है नीला अपराजिता
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है. वे कर्मों के अनुसार फल देते हैं, और उनकी दृष्टि में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता. शनि दोष, जिसे ‘साढ़े साती’ या ‘ढैया’ के नाम से भी जाना जाता है, जीवन में कई प्रकार की परेशानियां लेकर आता है. व्यक्ति को आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और रिश्तों में खटास का सामना करना पड़ सकता है.
मान्यता है कि नीला अपराजिता शनिदेव को अत्यंत प्रिय है. इस फूल का गहरा नीला रंग शनिदेव की शांति और गंभीरता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस फूल को शनिदेव की पूजा में अर्पित करने से, शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्त को शनि दोष से राहत मिलती है.
शनि दोष से मुक्ति में नीले अपराजिता का उपयोग
- शनिदेव को अर्पण: शनिवार के दिन, नीले अपराजिता के फूलों को शनिदेव को अर्पित करें. साथ ही “ॐ शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें.
- हनुमान जी को अर्पण: हनुमान जी को संकटमोचन माना जाता है और शनिदेव भी उनकी आज्ञा का पालन करते हैं. इसलिए, नीले अपराजिता के फूलों को हनुमान जी को अर्पित करने से भी शनि दोष से राहत मिलती है.
- जड़ धारण करना: ज्योतिषीय सलाह के अनुसार, नीले अपराजिता की जड़ को विशेष विधि से अभिमंत्रित करके धारण करने से शनि दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है.
- तेल में उपयोग: नीले अपराजिता के फूलों को तेल में डालकर, उस तेल से शनिदेव की मूर्ति का अभिषेक करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
- घर में लगाना: नीले अपराजिता के पौधे को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है, जो शनि दोष के कारण उत्पन्न हो सकती है.
केवल फूल अर्पित करने से ही सब कुछ नहीं हो जाता. कर्मों में सुधार, जरूरतमंदों की मदद और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा भी आवश्यक है. नीले अपराजिता का उपयोग एक सहायक के रूप में करें, और अपने कर्मों को शुद्ध रखकर शनिदेव की कृपा प्राप्त करें.