रविवार के दिन, यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया. अधिकांश विद्वानों के अनुसार, यह घटना 29 ईस्वी में हुई थी, जब प्रभु ईसा गधे पर सवार होकर येरुशलम पहुंचे। इस दिन को ‘पाम संडे’ के नाम से जाना जाता है. पाम संडे, जिसे हिंदी में ‘खजूर रविवार’ के नाम से जाना जाता है, ईसाई धर्म में एक महत्वपूर्ण उत्सव है. वर्ष 2025 में यह पर्व 13 अप्रैल को मनाया जाएगा, जो ईस्टर से एक सप्ताह पहले आता है. यह दिन ‘पवित्र सप्ताह’ की शुरुआत का प्रतीक है, जो यीशु मसीह के यरूशलेम में विजय के साथ प्रवेश की याद में मनाया जाता है.
बाइबिल में पाम संडे का उल्लेख
बाइबिल के अनुसार, जब यीशु मसीह यरूशलेम में प्रवेश कर रहे थे, तब लोगों ने खजूर की शाखाएं लहराते हुए और अपने कपड़े रास्ते पर बिछाते हुए उनका स्वागत किया. वे चिल्ला रहे थे, “होसन्ना! धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है!” यह घटना मत्ती 21:1–11, मरकुस 11:1–11, लूका 19:28–44 और यूहन्ना 12:12–19 में वर्णित है. यीशु का गधे पर सवार होकर आना उनकी विनम्रता और शांति का संदेश देता है, जो जकर्याह 9:9 की भविष्यवाणी की पूर्ति है.
पाम संडे की परंपराएं
इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएँ आयोजित की जाती हैं, जहाँ खजूर की डालियों को आशीर्वाद देकर वितरित किया जाता है. कई स्थानों पर जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें श्रद्धालु खजूर की डालियाँ लेकर यीशु के यरूशलेम में प्रवेश की घटना का पुनः प्रदर्शन करते हैं. कुछ लोग इन डालियों से क्रॉस बनाकर अपने घरों में सजाते हैं, जो आस्था और भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं.
आध्यात्मिक संदेश
पाम संडे केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक संदेश भी प्रदान करता है. यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति परंपराओं में नहीं, बल्कि परमेश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम में निहित होती है. यीशु का विनम्रता और बलिदान का मार्ग हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में शांति, करुणा और सेवा को अपनाएं