जमुई: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) के मैट्रिक वार्षिक परीक्षा 2025 का रिजल्ट आज शनिवार को जारी होने जा रहा है. इसे लेकर साइबर ठग भी काफी एक्टिव हो गए हैं. उन्होंने इस बार ठगी का नया रास्ता ढूंढ निकाला है. बिहार मैट्रिक रिजल्ट आने से पहले छात्रों को फेल होने का डर दिखाकर पैसों की ठगी करने वाले कई ठग सक्रिय हो गए हैं. यह ठग छात्रों को एक दो विषय में फेल होने का डर दिखाकर पास कराने के नाम पर पैसे की वसूली कर रहे हैं.
परीक्षार्थियों से साइबर ठगी की कोशिश: जमुई के सिकंदरा के रविदास और पासवान टोला में साइबर ठगी का मामला सामने आया है. जहां ठग ने पप्पू पासवान की बेटी राखी कुमारी और उमेश रविदास की बेटी निकिता कुमारी को अपना निशाना बनाया. उन्हें मोबाइल नंबर 7635060934 और 7257815438 से फोन करके कहा गया कि आप दो विषय में फेल हो रही हैं. आप गणित और विज्ञान में फेल हैं, अगर आप चार हजार रुपये एक घंटे के अंदर देंगी तो आपको पास कर दिया जाएगा.
ठगों ने की ऑनलाइन पैसे की डिमांड: ठगो के कॉल के बाद दोनों परीक्षार्थी घबरा गई. फिर संयम से काम लेते हुऐ उन्होंने अपने-अपने परिजनों को जानकारी दी. जब उक्त परीक्षार्थियों के पिता ने उस नंबर पर बात की तो ठगों ने उनसे भी पैसों की डिमांड कर दी. ठगों के द्वारा पैसे फोन पे पर भेजने को कहा गया. उन्होंने कहा कि पैसे भेजने के बाद उनकी बच्ची को प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर दिया जाएगा.
“आपकी बेटी दो विषयों में फेल हो गई है. अगर आप चाहते हैं कि वो पास हो जाए तो फोन पे पर पैसे भेज दें. आपकी बच्ची को प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर दिया जाएगा.”- साइबर ठग
परीक्षार्थियों के परिजनों ने लिया समझदारी से काम: बता दें कि ठगों की बाते सुनने के बाद परीक्षार्थी के परिजनों ने समझदारी से काम लिया और एक भी रुपया ट्रांसफर नहीं किया. वहीं उन्होंने अन्य लोगों से मिलकर भी इस जानकारी को साझा किया. इस तरह से परीक्षार्थी और उसके परिजन एक ठगी का शिकार होने से बच गए. इस संबंध में जिले के अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि ”ऐसे साइबर ठग से बचे और इससे संबंधित शिकायत तुरंत साइबर थाना में करें.”
नालंदा में पकड़ा गया ऐसा गिरोह: गोरतलब हो कि परीक्षा में पास कराने का दावा करने वाला एक ऐसा ही गिरोह कुछ दिनों पहले नालंदा जिले में पकड़ा गया था. इस गिरोह के चार बदमाश मैट्रिक और इंटर के परीक्षार्थियों की लिस्ट के साथ पकड़े गए थे. प्रशासन ने दावा किया था कि यह गिरोह छात्र-छात्राओं से फेल होने का डर दिखाते थे, फिर नंबर बढ़ाने के नाम पर मोटी रकम वसूलते थे. आधा दर्जन के करीब अभिभावक इसके शिकार हो गए थे.