Tuesday, April 1, 2025

आज चैत्र नवरात्रि 2025 का पहला दिन, ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

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चैत्र नवरात्रि आज से आरंभ हो रही है, जिसके अंतर्गत घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के पहले स्वरूप, मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. ‘शैल’ का अर्थ है हिमालय, और पर्वतराज हिमालय में जन्म लेने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है. पार्वती के रूप में उन्हें भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी पहचाना जाता है.

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना के लिए समर्पित होता है. मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है और इन्हें भक्तों के कष्टों को हरने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. 2025 में चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ आज 30 मार्च से हो रहा है. इस दिन मां शैलपुत्री की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि आती है. आइए जानते हैं कि इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा कैसे करें

मां शैलपुत्री पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
  • गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और मां को आमंत्रित करने का संकल्प लें.

कलश स्थापना

  • एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें.
  • कलश पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और उसे पूजा स्थल पर रखें.

पूजन सामग्री

लाल पुष्प, चंदन, अक्षत (चावल), धूप, दीपक, दूध, घी, शहद और गंगाजल जैसी पूजन सामग्री तैयार रखें.

मां शैलपुत्री की आराधना

  • मां शैलपुत्री को सफेद फूल और गाय के घी से बने प्रसाद का भोग अर्पित करें.
  • दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें.
  • मां शैलपुत्री के मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का 108 बार जाप करें.
  • दीप जलाकर मां की आरती करें और भोग अर्पित करें.

मां शैलपुत्री की कृपा के लाभ

  • मां शैलपुत्री की पूजा करने से मन को शांति मिलती है.
  • गृहस्थ जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है.
  • साधकों के लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है, क्योंकि मां की पूजा से मन की चंचलता समाप्त होती है.
  • इस दिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है.

व्रत और पारणा की विधि

  • उपवासी श्रद्धालु इस दिन केवल फलाहार का सेवन करें और मां को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करें.
  • अगले दिन पूजा के बाद व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें.

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