आंध्र में हाथियों का आतंक जारी है. सरकार की ओर से हाथियों की रक्षा और लोगों की सुरक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
आंध्र प्रदेश के मन्यम जिले में हाथियों का आतंक जारी है. इससे स्थानीय लोगों को अपने गांवों पर हाथियों के हमले का डर सता रहा है. हालांकि अधिकारियों ने पहले हाथियों को ओडिशा वापस खदेड़ने के लिए ऑपरेशन गजा शुरू किया था, लेकिन एक हाथी की मौत के बाद ऑपरेशन को बीच में ही रोक दिया गया. यहां तक कि एक झुंड को विशाखापत्तनम चिड़ियाघर में स्थानांतरित करने की योजना भी कई कारणों से छोड़ दी गई.
लंबे समय से चली आ रही समस्या
हाथी पहली बार 1998 में कुरुपम वन क्षेत्र में घुसे थे. हालांकि, वे 1999, 2007 और 2008 में वापस लौटे और अक्सर कुरुपम, गुम्मालक्ष्मीपुरम, जियाम्मावलासा, सीतामपेटा और वीरघट्टम के आसपास घूमते रहे और रास्ते में फसलों को नुकसान पहुंचाया.
छह साल पहले एक झुंड कोमारदा मंडल में घुस आया और वहीं रुक गया. कुरुपम विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे आठ हाथियों में से चार की मौत हो गई और एक अलग हो गया. इसका तब से कोई पता नहीं चला. इस बीच, चार बच्चों के जन्म ने झुंड की ताकत बढ़ा दी. वर्तमान में हाथी एक साथ घूमते हैं जो स्थानीय लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं. अब तक हाथियों के हमलों में 11 लोगों की जान जा चुकी है.
फसलों को भारी नुकसान
दिसंबर 2024 तक हाथियों ने 3,305 एकड़ में फैली फसलों को नष्ट कर दिया था. 2025 में 630 एकड़ और फसलें नष्ट हो गई. अधिकारियों ने अब तक 3 तीन करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है. सलूरू और कुरुपम की सीमा में जंथिकोंडा और जेके पाडु में विशेष हाथी क्षेत्र बनाने की योजना तैयार की गई थी. इसके लिए लगभग 1,209 एकड़ वन भूमि की पहचान की गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
वन अधिकारी जी.ए.पी. प्रसूना ने बताया कि हाथियों के लिए एक विशेष क्षेत्र के चारों ओर गड्डे खोदे जा रहे हैं. सीतानगरम मंडल के गुचिमी में 1,100 एकड़ में गड्ढे खोदन का काम चल रहा है. हालांकि, कुछ स्थानीय लोग काम में बाधा डाल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम इन बाधाओं को दूर करेंगे, हाथियों की रक्षा करेंगे और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.’