Wednesday, April 2, 2025

अल्पसंख्यक स्कूलों में भर्ती से जुड़ा मामला, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से जवाब मांगा

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दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का निर्णय लिया.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात हाई कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है. इसमें गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा (GSHSE) अधिनियम में 2021 के संशोधनों को बरकरार रखा गया था, जिससे राज्य को भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों और प्रिंसिपलों की भर्ती पर नियम बनाने की अनुमति मिली.

यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के समक्ष आया. वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह याचिकाकर्ताओं सेंट जेवियर्स हाई स्कूल लोयोला हॉल और अन्य की ओर से पेश हुए.

सिंह ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट के फैसले ने सुप्रीम कोर्ट के 9 न्यायाधीशों और 11 न्यायाधीशों की बेंच के फैसलों की अवहेलना की है. सिंह ने अपने तर्क के समर्थन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मामले में हाल ही में आए फैसले का भी हवाला दिया. पीठ के समक्ष यह तर्क दिया गया कि हालांकि राज्य न्यूनतम मानदंड, योग्यता मानक आदि निर्धारित कर सकता है, लेकिन विनियमन प्रिंसिपलों और शिक्षकों की पसंद तक नहीं बढ़ाया जा सकता है.

दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का निर्णय लिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संशोधनों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुने बिना ऐसा नहीं कर सकता.

इस साल जनवरी में, हाई कोर्ट ने गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा अधिनियम में 2021 के संशोधन के खिलाफ अल्पसंख्यक संस्थानों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य को निजी स्कूलों में शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गया था.

याचिकाओं में दावा किया गया था कि संशोधन धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों का प्रशासन करने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है.संशोधित अधिनियम ने राज्य शिक्षा बोर्ड को निजी माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए योग्यता और चयन की विधि निर्धारित करने की शक्ति दी.

सुप्रीम कोर्ट

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