नई दिल्ली: क्या आपको शादी में गिफ्ट के तौर पर सोने की ज्वैलरी मिली है? अगर हां, तो अब टैक्स चुकाने के लिए तैयार हो जाइए. शादी और त्योहार के सीजन में गिफ्ट के तौर पर सोना या सोने की ज्वैलरी देना आम बात है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी में सोने की ज्वैलरी देना भी टैक्स के दायरे में आता है.
अगर आपको किसी खास मौके पर गिफ्ट के तौर पर सोने की ज्वैलरी, सिक्के, बुलियन या डिजिटल गोल्ड मिलता है और इनकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा है तो यह इनकम टैक्स कानून के तहत अन्य स्रोतों से होने वाली आय की श्रेणी में आता है. हालांकि, कुछ रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट टैक्स फ्री होते हैं. जानिए सोने से जुड़े कानूनी नियम क्या कहते हैं.
क्या सोने का गिफ्ट टैक्स के दायरे में आता है?
अगर आपको शादी, त्यौहार या किसी खास मौके पर सोने के आभूषण, सिक्के, बुलियन या डिजिटल सोना उपहार में मिलता है, तो सावधान हो जाइए. अगर सोने की कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा है, तो उसे अन्य स्रोतों से होने वाली आय में शामिल किया जाता है. उस पर आपको टैक्स देना पड़ सकता है. हालांकि, रिश्तेदारों से मिले उपहार टैक्स फ्री हैं.
सोना बेचने पर कैसे लगता है टैक्स?
अगर आपने सोना खरीदा है और तीन साल से पहले बेच दिया है तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) लगेगा जो आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से होगा. अगर तीन साल बाद बेचा तो 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) लगेगा जिसमें 4 फीसदी सेस भी शामिल है.डिजिटल गोल्ड, ETF, म्यूचुअल फंड और SGB पर टैक्स नियम
डिजिटल गोल्ड को तीन साल से पहले बेचने पर एसटीसीजी नहीं लगता, लेकिन तीन साल से ज्यादा रखने पर 20 फीसदी एलटीसीजी टैक्स देना पड़ता है. गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड को तीन साल बाद बेचने पर भी 20 फीसदी एलटीसीजी टैक्स लगता है.अगर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) को 8 साल तक रखा जाए तो उस पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगता. लेकिन इस पर मिलने वाला 2.5 फीसदी सालाना ब्याज आपकी टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाता है.