हजारीबाग: झारखंड की धरती पर जब किसान का हल चला तो नक्सलियों की बंदूकों की आवाजें फीकी पड़ गईं. एक ऐसा गांव, जो कभी लाल आतंक के साए में जीता था, आज खेती-किसानी के दम पर अपनी नई पहचान बना चुका है. हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड का नवादा गांव, जो कभी हार्डकोर नक्सलियों के लिए सेफ जोन हुआ करता था, आज किसानों की मेहनत के दम पर खेती का सेंटर बन गया है.
झारखंड का हजारीबाग एक ऐसा जिला जो कभी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. यहां सीआरपीएफ की भी तैनाती की गई. सरकारी योजना के धरातल पर आने के कारण, नक्सली क्षेत्र से दूर होते चले गए. अब इस जिले ने नक्सल से मुक्त क्षेत्र के रूप में पहचान बनायी है. क्षेत्र में किसान का हल कुछ इस कदर चला कि धरती सोना उगलने लगी. किसान अपनी कड़ी मेहनत से कटकमसांडी क्षेत्र में रोजगार सृजन करने वाले बन गए.
पहले नक्सलियों की थी हुकूमत
कटकमसांडी का नवादा गांव जहां नक्सलियों की हुकूमत चला करती थी. नक्सली जन अदालत लगाते थे, घनघोर जंगल होने के कारण यह उनका आश्रय स्थल बन गया था. यही कारण था कि दिन में भी आम जनता इस गांव नहीं जाती थी. जब यहां किसान का हल चला तो क्षेत्र में ऐसी रौनक लौटी कि शहर और महानगर से व्यापारी भी गांव पहुंचने लगे. गांव, सब्जी उत्पादन के लिए पूरे राज्य भर में जाना जाने लगा.
अब कई प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं
- टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च और अन्य फसलें यहां बहुतायत में उगाई जाती हैं. पहले भी यहां खेती होती थी, लेकिन अब खेती का स्वरूप बदल गया है और व्यावसायिक खेती ने जगह बना लिया है.
- गांव के ही युवा किसान चंदन कुमार मेहता बताते हैं कि लगभग दो दशक पहले तक नवादा गांव नक्सली गतिविधियों के लिए चर्चित था. जैसे ही सरकार ने नक्सलियों पर शिकंजा कसा, किसानों ने भी खेती को अपना हथियार बना लिया. खेती का यह हथियार इतना मजबूत साबित हुआ कि उसने बंदूकों के खौफ को पूरी तरह मिटा दिया.
आज गांव के किसान परंपरागत खेती से आगे बढ़कर आधुनिक और व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. यहां पर 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर फसलें लहलहाती हैं. कई दूसरे गांवों के किसान भी नवादा आकर लीज पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं.
लोगों को मिल रहा है रोजगार
नवादा गांव में खेती से जुड़े 15 से अधिक बड़े प्लांट स्थापित हैं, जहां रोजाना 30-40 लोगों को रोजगार मिल रहा है. किसान यहां पर सब्जियों के साथ-साथ हाईब्रिड खेती भी कर रहे हैं. दूर-दूर के व्यापारी यहां आकर फसलों की अच्छी कीमत देकर खरीदारी करते हैं.
शिक्षा के प्रसार ने गांव के विकास की रफ्तार को और भी तेज किया है. जैसे-जैसे नक्सली गतिविधियां कम हुईं, गांव के लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ती चली गयी. बेहतर शिक्षा के कारण युवा गलत रास्तों पर नहीं भटके और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए खेती में जुट गए. इस बदलाव से गांव में आर्थिक खुशहाली आई और लोगों का जीवन स्तर भी सुधरा.