मुजफ्फरपुर में ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग युवाओं के करियर और जिंदगी पर भारी पड़ रहा है. 14 से 35 साल के हर 10 में से 4 युवा इस लत में फंस चुके हैं. पैसों की चाह में वे अपने माता-पिता के बैंक खाते खाली कर रहे हैं, कर्ज में डूब रहे हैं और अपराध तक में शामिल हो रहे हैं.
मुजफ्फरपुर में ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग एप्स की लत तेजी से युवाओं को बर्बाद कर रही है. जिले में 14 से 35 साल के हर 10 में से 4 लड़के इन गेम्स के जाल में फंस चुके हैं, जिससे उनका करियर और भविष्य दांव पर लग गया है. डॉक्टर, इंजीनियर, IAS और IPS बनने के सपने छोड़, वे गेमिंग में पैसा लगाने के चक्कर में अपने माता-पिता के बैंक अकाउंट तक खाली कर रहे हैं. हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ से कई युवा आत्महत्या की कोशिश तक कर रहे हैं.
अपराध की ओर बढ़ रहे हैं युवा
ऑनलाइन गेमिंग की लत ने युवाओं को अपराध के दलदल में धकेलना शुरू कर दिया है. पैसे की जरूरत पड़ने पर वे उधार लेने, चोरी करने और यहां तक कि आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं. सूदखोर भी इस लत का फायदा उठा रहे हैं और 10-20 रुपये सैकड़ा के हिसाब से कर्ज देकर युवाओं को जाल में फंसा रहे हैं. कई मामलों में ये सूदखोर वसूली के लिए प्रोटेक्शन गैंग तक का सहारा लेते हैं, जिससे मामला और गंभीर हो जाता है.
केस 1: 5 लाख हारने के बाद युवक ने किया आत्महत्या का प्रयास
शहर के बालूघाट का एक 22 वर्षीय युवक ऑनलाइन गेमिंग में 5 लाख रुपये हार गया. इसमें 3 लाख रुपये उसकी खुद की कमाई थी, जबकि 2 लाख रुपये उसने ब्याज पर लिए थे. कर्ज चुकाने में असमर्थ होने पर वह अखाड़ाघाट पुल से कूदकर जान देने जा रहा था, लेकिन उसके दोस्तों ने उसे बचा लिया.
केस 2: बेटे ने पिता के अकाउंट से 4 लाख उड़ाए
कुढ़नी थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने अपनी जमीन बेचकर बैंक में 24 लाख रुपये जमा किए थे. जब उसने अकाउंट चेक कराया, तो उसमें 4 लाख रुपये कम मिले. बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि ये पैसे ऑनलाइन गेमिंग में लगाए गए थे. जांच में सामने आया कि उसके बेटे ने ही यह रकम गेमिंग एप पर खर्च कर दी थी. पहले पिता ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन जब उन्हें अपने बेटे की सच्चाई पता चली, तो उन्होंने केस वापस ले लिया.
सरकार की चुप्पी और बढ़ता खतरा
ऑनलाइन गेमिंग एप्स पर न तो सरकार का कोई नियंत्रण है और न ही इन पर रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं. 2024 में साइबर थाने में 200 से अधिक अभिभावक शिकायत लेकर पहुंचे थे, जिनके बच्चे इस लत के शिकार हो चुके थे. हालांकि, साइबर डीएसपी सीमा देवी के नेतृत्व में कई बच्चों की काउंसलिंग की गई और जिले के 100 से अधिक स्कूलों और कॉलेजों में साइबर जागरूकता अभियान चलाया गया. लेकिन समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि सिर्फ जागरूकता से इसका समाधान संभव नहीं दिख रहा.