झारखंड में मंईयां सम्मान योजना को लेकर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं को फ्रीबीज कहना गलत है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से योजना का संचालन कर रही है। सरकार हर तीन महीने में राजस्व विभागों की समीक्षा करेगी और हर छह महीने में वित्त मंत्री स्वयं समीक्षा करेंगे। पिछले वित्तीय वर्ष में राजस्व संग्रह संतोषजनक रहा है
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मंईयां सम्मान योजना (Maiya Samman Yojana) को ‘फ्रीबीज’ कहे जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस सवाल पर उन्होंने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं को फ्रीबीज कहना कहीं से सही नहीं है। मंत्री ने बताया कि इस योजना का संचालन राज्य सरकार अपने संसाधनों से कर रही है और कहीं से भी इसके लिए कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी है।
बेहतर वित्तीय प्रबंधन की ओर बढ़ते कदम का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में हर तीन महीने में राजस्व विभागों की समीक्षा होगी, हर छह माह पर वित्त मंत्री समीक्षा करेंगे। उन्होंने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के चलते राजस्व संग्रहण प्रभावित हुआ, फिर भी प्रयास संतोषजनक रहे हैं।
मंत्री ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 1,06,999.57 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें से 92,189.10 करोड़ रुपये की वसूली हुई, जो कि 86.16 प्रतिशत है।
वहीं, गैर-कर प्राप्तियों सहित कुल 1,03,469.82 करोड़ रुपये यानी बजट एस्टीमेट का 80.27 प्रतिशत प्राप्त हुए हैं। वह बुधवार को सूचना भवन सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। वित्त मंत्री के साथ वाणिज्य विभाग के सचिव अमिताभ कौशल और वाणिज्य कर आयुक्त अमीत कुमार भी मौजूद थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि एफआरबीएम अधिनियम के तहत राज्यों को ऋण लेने की क्षमता से कम ही ऋण झारखंड ने लिया है। उन्होंने इस दौरान पीएल एकाउंट में राशि रखने की प्रवृत्ति को गलत करार देते हुए इसकी समीक्षा किए जाने की बात भी कही। सभी विभागों से इसकी जानकारी मांगी गई है।
मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि वर्ष 2025-26 में सभी विभागों को तीन महीने में एक बार राजस्व संग्रहण की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है, और वे स्वयं छह महीने में एक बार इसकी समीक्षा करेंगे। राज्य के सभी प्रमंडलों का दौरा कर अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे, वहीं जो प्रमंडल पीछे होंगे, उन्हें विशेष निर्देश और सहायता दी जाएगी।
राजस्व व्यय की जानकारी देते हुए बताया गया कि 1,31,234.42 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिनमें से 1,18,279.69 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया कि राज्य के आर्थिक ढांचे को और मजबूत बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
वित्त सह वाणिज्य कर मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि झारखंड सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में निर्धारित लक्ष्य 26 हज़ार करोड़ रुपये के विरुद्ध 22,292.25 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहण किया है। यह आंकड़ा वार्षिक लक्ष्य का 85.74 फीसदी राजस्व संग्रहण है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल राजस्व संग्रह 26,500 करोड़ रुपया का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्टेट जीएसटी मद में राजस्व संग्रहण के निर्धारित लक्ष्य 15375 करोड़ के विरुद्ध 14210.10 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहण प्राप्त किया है जो वार्षिक लक्ष्य का 92.42 प्रतिशत है।
वैट के माध्यम से 6618.51 करोड़ रुपये जुटाये
मंत्री ने कहा कि वैट के माध्यम से वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व संग्रहण का निर्धारित लक्ष्य 9124 करोड़ रुपये के विरुद्ध कुल 6618.51 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहण किया गया है जो वार्षिक लक्ष्य का 72.54 है।
पेशा कर अधिनियम के तहत वार्षिक लक्ष्य के विरुद्ध 116.36 प्रतिशत वसूली
मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व संगरहण का निर्धारित लक्ष्य 1413 करोड़ रुपये के विरुद्ध कुल 1361.24 करोड़ रुपये का राजस्व संगरहण किया गया है जो वार्षिक लक्ष्य का 96.34 प्रतिशत है। वर्तमान में विद्युत शुल्क के अधीन निबंधित व्यवसायियों की कुल संख्या 267 है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1600 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कार्य योजना
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कार्य योजना पर बल देते हुए कहा कि इस वित्तीय वर्ष में खनन एवं विनिर्माण कार्य में संलग्न डीजल के थोक खरीद के लिए ‘कर’ दर कमी से राजस्व में वृद्धि होगी साथ ही एविएशन टर्बाइन फ्यूल में कर दर बढ़ाने के फलस्वरूप राजस्व में अभिवृद्धि संभावित है।