फिल्ममेकर किरण राव की बहुचर्चित निर्देशित फिल्म ‘लापता लेडीज’ पर प्लेगरिज्म का आरोप लगा है. आइए पूरे मामले पर एक नजर डालते हैं…
हैदराबाद: फिल्म मेकर किरण राव की बहुचर्चित निर्देशित फिल्म लापता लेडीज पर 2019 में आई अरबी फिल्म बुर्का सिटी की नकल करने का आरोप लगाया गया है. हाल ही में बुर्का सिटी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या किरण राव की बॉलीवुड फिल्म असली नहीं है.
वायरल क्लिप से पता चला कि अरबी फिल्म एक नवविवाहित व्यक्ति की अपनी पत्नी की तलाश के इर्द-गिर्द घूमती है, जब गलती से उसकी जगह बुर्का पहनी दूसरी महिला आ जाती है. सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के तुरंत बाद, यूजर्स ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और हैरानी जताई है कि क्या किरण राव ने अरबी फिल्म के कॉन्सेप्ट को कॉपी किया है?
क्या है ‘लापता लेडीज’ का मामला?
किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज’ पर अरबी फिल्म ‘बुर्का सिटी’ की नकल करने का आरोप लगाया गया है. नेटिजन्स का मानना है कि फिल्म का मेन आइडिया 2019 की फ्रेंच-अरबी शॉर्ट फिल्म ‘बुर्का सिटी’ से लिया गया है. यह शॉर्ट फिल्म एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है, जो अपनी पत्नी से बहस के बाद गलती से बुर्का पहनी हुई गलत महिला को घर ले आता है.
‘लापता लेडीज’ में पुलिस स्टेशन वाला सीन, जिसमें रवि किशन सबसे अलग नजर आते हैं, वह भी बुर्का सिटी के एक ऐसे ही सीन से प्रेरित बताया जा रहा है. इतना ही नहीं, पितृसत्ता, सामाजिक दबाव और पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की भूमिका की पड़ताल जैसे सामान्य विषय दोनों फिल्मों में समान हैं.
आलोचकों का तर्क है कि अपने पास उपलब्ध संसाधनों के साथ, किरण राव अन्य कंटेट से इतना अधिक कॉपी करने से बच सकती थीं. जबकि सोशल मीडिया का एक वर्ग मानता है कि गलत पहचान और दुल्हन की अदला-बदली जैसे विषय भारतीय संस्कृति में प्रचलित हैं. उनका तर्क है कि गलत दुल्हन की अदला-बदली की कहानियों की एक लंबी परंपरा है. रवींद्रनाथ टैगोर के नौकाडुबी या 2000 के दशक की शुरुआत के के-सीरियल जैसे उपन्यासों में ऐसी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं, जिनमें आमतौर पर कहानियों में ऐसे मोड़ होते थे. हालांकि, सोशल मीडिया का एक बड़ा वर्ग मानता है कि लापता लेडीज और बुर्का सिटी के बीच समानताएं इतनी स्पष्ट हैं कि उन्हें संयोग के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि इंटरनेट के युग में, सोशल मीडिया पर ऐसे आरोप पहले से कहीं ज्यादा जोर से लगाए जा सकते हैं, जो बात कभी इंडस्ट्री के प्रोफेशनल के बीच दबी हुई थी, वह अब खुली सार्वजनिक बहस बन गई है. लापता लेडीज को लेकर बहस अपने आप में असामान्य नहीं है. यह बॉलीवुड में प्लेगरिज्म के आरोपों के एक बड़े चलन का हिस्सा है. रीमेक, रूपांतरण और साउथ और विदेशी फिल्मों से प्रेरणा लेने पर अत्यधिक निर्भरता के लिए इंडस्ट्री की अक्सर आलोचना की जाती है.
‘घूंघट के पट खोल’ की भी नकल है किरण राव की फिल्म?
एक सोशल मीडिया यूजर ने किरण राव की फिल्म को ‘घूंघट के पट खोल’ से मिलता-जुलता बताया है. यूजर ने एक्स हैंडल पर दोनों फिल्मों का पोस्टर साझा करते हुए लिखा है, ‘लापता लेडीज जिसे लोगों ने बहुत प्यार और प्रशंसा दी, कथित तौर पर अनंत महादेवन के घूंघट के पट खोल की नकल है, जो 1999 में दूरदर्शन गोल्ड पर प्रसारित हुआ था. जबकि रीमेक आम बात है, किरण राव और उनकी टीम के खिलाफ ओरिजिनल सोर्स को स्वीकार न करने के आरोप निराशाजनक हैं और ईमानदारी और नैतिकता पर उनके सार्वजनिक रुख का खंडन करते हैं.’
इन फिल्मों पर भी लग चुका है प्लेगरिज्म का आरोप
इससे पहले, 2013 में ऑस्कर के लिए भारत की ओर से भेजी गई बर्फी (2012) जैसी फिल्मों पर सिटी लाइट्स और द नोटबुक जैसी ग्लोबल क्लासिक फिल्मों से चीजें चुराने का आरोप लगाया गया था. 2019 में ऑस्कर के लिए भारत की ओर से भेजी गई एक और आधिकारिक फिल्म गली बॉय पर 2002 की फिल्म 8 माइल से बहुत ज्यादा मिलती जुलती होने का आरोप लगाया गया था.