Tuesday, April 22, 2025

बिहार ने 20 वर्षों में ऊर्जा के क्षेत्र में रचा इतिहास, उत्पादन क्षमता में की 7 गुना वृद्धि

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बिहार का यह परिवर्तन केवल विकास की कहानी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, जो दिखाती है कि सही नेतृत्व और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कोई भी राज्य कैसे अंधकार से उजाले की ओर बढ़ सकता है.

पटना. कभी लालटेन की टिमटिमाती रोशनी में जीवन बिताने वाला बिहार, आज चकाचक रौशनी से दमक रहा है. बिजली के क्षेत्र में देश के पिछड़े राज्यों में गिना जाने वाला बिहार अब ‘पावर हाउस’ की पहचान बना रहा है. बिहार अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल है. अब बिहार केवल अपनी जरूरतों की पूर्ति ही नहीं कर रहा, बल्कि निकट भविष्य में अन्य राज्यों को बिजली सप्लाई करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है. ऊर्जा विभाग की योजनाएं बिहार को ऊर्जा निर्यातक राज्य बनाने की ओर अग्रसर हैं.

उत्पादन क्षमता में भी जबरदस्त बढ़ोत्तरी

2005 से 2025 तक, इन 20 सालों में बिहार ने बिजली के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. 2005 में जहां बिजली उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 17 लाख 31 हजार थी, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 2 करोड़ 12 लाख को पार कर गया है. यानी 12 गुना वृद्धि. इसी तरह प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 2005 में जहां 75 यूनिट थी, वह अब 363 यूनिट तक पहुंच गई है, यानी 5 गुना से अधिक बढ़ोत्तरी हुई है. बिहार की बिजली उत्पादन क्षमता में भी जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है. 2005 में राज्य में बिजली उत्पादन केवल 1380 मेगावाट था. 2025 तक यह बढ़कर 8850 मेगावाट हो गया है, यानी 7 गुना वृद्धि.

आधारभूत ढांचे में बड़ा विस्तार

  • ग्रिड उपकेंद्र: 2005 में 45, अब 172
  • पावर सबस्टेशन: 2005 में 368, अब 1260
  • संचरण लाइन: 2005 में 5000 सर्किट किमी, अब 20543 सर्किट किमी
  • विद्युत शक्ति उपकेन्द्र की क्षमता: 2005 में 2544 MVA, अब 20681 MVA

बिहार के सभी गांवों का विद्युतीकरण

जहां 2005 में केवल 14,020 गांवों में बिजली थी, वहीं 2017 तक बिहार के सभी गांवों का विद्युतीकरण कर दिया गया. यह उपलब्धि निर्धारित समय से पहले हासिल हुई. जब देश के अन्य राज्यों में बिजली दरें लगातार बढ़ रही हैं, बिहार सरकार ने हाल ही में 15 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दर में कटौती कर जनता को राहत दी है. यह नीति राज्य सरकार की जनहितैषी सोच को दर्शाती है. यह आंकड़े केवल आंकड़े नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक बदलाव की गवाही हैं जिसने बिहार को अंधकार से निकालकर उजाले की ओर अग्रसर किया है. यह बदलाव नीतीश कुमार के विकासशील और समावेशी विजन का नतीजा है. उनके नेतृत्व में बिहार आज केवल आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है.

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