Monday, May 12, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर पोखरण परीक्षणों को याद करते हुए वैज्ञानिकों को सलाम किया.

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नई दिल्ली: आज 11 मई है, और यह दिन भारत के इतिहास में एक खास महत्व रखता है. ठीक 27 साल पहले, 11 मई 1998 को, राजस्थान के पोखरण में भारत ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत पांच परमाणु परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित की थी. ये परीक्षण न केवल भारत की परमाणु शक्ति का प्रदर्शन थे, बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक बड़ा कदम थे. पोखरण से उठी गूंज ने दुनिया को भारत की ताकत का एहसास कराया था.

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोकरण में परीक्षण कर दुनिया को चौंकाया था. परीक्षण से पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक खलबली मच गई थी. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में मिशन गुप्त रूप से पूरा किया गया. हर साल 11 मई को ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो पोखरण परमाणु परीक्षणों की याद दिलाता है और देश के वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के योगदान को सम्मानित करता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों को किया सलाम
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों को याद करते हुए उन वैज्ञानिकों को सलाम किया जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाया. उन्होंने इस दिन को मात्र एक उत्सव नहीं, बल्कि भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प का प्रतीक बताया. यह महत्वपूर्ण है कि यह बयान भारत-पाकिस्तान सीमा पर हाल ही में हुए संघर्ष के बाद घोषित सीजफायर के बाद आया है, जो एक रणनीतिक विराम का संकेत देता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक ऐतिहासिक पड़ाव बताया. उन्होंने कहा, “नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर शुभकामनाएं! यह दिन हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व जताने और 1998 के पोखरण परीक्षणों को याद करने का अवसर है. यह हमारे राष्ट्र की विकास यात्रा में एक मील का पत्थर था, खासकर आत्मनिर्भरता की दिशा में.”

‘शक्ति’ कोडनेम के तहत हुए पोखरण परमाणु परीक्षण भारत की तकनीकी शक्ति और आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन था. इन परीक्षणों ने दुनिया को यह दिखाया कि भारत न केवल रक्षा के क्षेत्र में, बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी किसी से कम नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए आज के वैज्ञानिकों को भी प्रेरित किया है कि वे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं.

आज भारत अंतरिक्ष, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल इनोवेशन और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत विज्ञान और शोध के माध्यम से भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग मानवता को ऊपर उठाने, राष्ट्र को सुरक्षित बनाने और भविष्य की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए किया जाना चाहिए.

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