Monday, April 7, 2025

पहाड़ों की गोद में बसा कौलेश्वरी मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. यह तीन धर्मों के लिए खास आस्था का केंद्र है.

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  • चतरा: जिले से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कौलेश्वरी धाम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है. यह स्थान तीन धर्मों सनातन, बौद्ध और जैन के अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र है. चारों ओर पहाड़ों से घिरा यह तीर्थ स्थल 1680 फीट की ऊंचाई पर बसा है. जहां मां कौलेश्वरी का भव्य मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.

दुर्गा सप्तशती कथा में मां कौलेश्वरी का जिक्र

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कौलेश्वरी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और कुल की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं. दुर्गा सप्तशती कथा में भी मां कौलेश्वरी का उल्लेख मिलता है, जिसके कारण भक्तों की श्रद्धा इस स्थान के प्रति अटूट है. चैत्र नवरात्र और रामनवमी के अवसर पर कौलेश्वरी धाम में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है.

शक्तिपीठ के नाम से विख्यात कौलेश्वरी मंदिर

झारखंड और बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. बिहार की सीमा से सटे होने के कारण यह मंदिर दोनों राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. प्रतिदिन हजारों लोग मां के चरणों में अपनी अर्जी लेकर पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्र के दिनों में यह संख्या हजारों में पहुंच जाती है.

मंदिर के चारों ओर पर्वतों की लंबी श्रृंखला फैली हुई है, जो भक्तों और पर्यटकों के मन को मोह लेती है. हरे-भरे जंगल और ऊंचे पहाड़ इस स्थान को एक अलौकिक शांति प्रदान करते हैं. मंदिर परिसर में एक विशाल तालाब भी है, जिसका जल कभी सूखता नहीं. कौलेश्वरी धाम का इतिहास और महत्व इसे अन्य तीर्थ स्थलों से अलग बनाता है. इस मंदिर को एक शक्तिपीठ के रूप में भी पूजा जाता है.

ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में यहां बौद्ध और जैन संतों ने तपस्या की थी, जिसके अवशेष आज भी इस क्षेत्र में देखे जा सकते हैं. इस तरह कौलेश्वरी धाम विभिन्न धर्मों के बीच एकता और समन्वय का प्रतीक बन गया है. कई भक्तों का मानना है कि मां के दर्शन मात्र से ही उनके जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं.

धार्मिक के साथ-साथ पर्यटन स्थल है

मंदिर के पुजारी जितेंद्र पांडेय बताते हैं कि मां कौलेश्वरी की कृपा से यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है. कौलेश्वरी धाम केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल भी है. पहाड़ों की गोद में बसा यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है.

ऊंचाई से दिखने वाला मनोरम दृश्य, शांति वातावरण और तालाब की सुंदरता पर्यटकों को बार-बार यहां खींच लाती है. सरकार और स्थानीय प्रशासन भी इस स्थान को पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस अनुपम स्थल की सुंदरता और पवित्रता का आनंद ले सकें.

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