पलामूः सरकारी स्कूल से ड्रॉप आउट (छोड़ देने) बच्चों को वापस लाने के लिए रुआर अभियान की शुरुआत की गई है. रुआर एक संथाली शब्द है, जिसका मतलब है वापस लौट जाना. पलामू में सरकारी स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चों को वापस लाने के लिए गुरुवार अभियान की शुरुआत हुई है. अभियान की शुरुआत पलामू डीसी शशिरंजन एवं अन्य अधिकारियों ने सिटी बजाकर की है.
अभियान को लेकर डीसी शशिरंजन ने पलामू के शिक्षक और आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ एक संवाद कार्यक्रम भी रखा था. दरअसल पलामू में 2024-25 में 2254 बच्चे सरकारी स्कूल से ड्रॉप आउट हुए हैं. छह से 14 वर्ष के उम्र के 1637 बच्चों ने स्कूल को छोड़ा है, वहीं 14 से 18 वर्ष के 617 बच्चों ने स्कूल को छोड़ दिया है.
पलामू डीसी से शशिरंजन ने अभियान की शुरुआत से पहले सरकारी शिक्षक एवं अधिकारियों से ड्रॉप आउट के कारण और उसके समाधान के बारे में जानकारी ली. इस दौरान शिक्षकों ने डीसी को बताया कि सरकारी स्कूल के कई बच्चों ने प्राइवेट स्कूल में भी नामांकन करवाया है और वह सरकारी स्कूल में क्लास करने नहीं जाते हैं.
पलायन एवं स्कूल की दूरी भी एक बड़ा कारण है. सुझाव को लेकर कई शिक्षकों ने कहा कि सरकारी स्कूलों में स्किल डेवलपमेंट, शिक्षकों को टास्किंग और अभियान चलाने की जरूरत है. शिक्षक और अधिकारियों ने यह भी कहा कि सरकारी अधिकारी के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ाई करे.
सभी आंगनबाड़ी केंद्र बनेंगे आदर्श, 10 मई तक विशेष अभियान
अभियान की शुरुआत को लेकर पलामू डीसी शशिरंजन ने कहा कि ड्रॉप ऑउट स्कूल के बच्चों को वापस लाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान 10 मई तक चलाया जाएगा. जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र अगले 2 से 3 वर्ष में आदर्श बनाए जाएंगे. आंगनबाड़ी एवं सरकारी स्कूल के बीच समन्वय में स्थापित कर बच्चों को वापस लाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ड्रॉप आउट को लेकर कई कारण हैं. यह कारण शिक्षक एवं आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर भी है. कई अन्य कारण भी इसमें शामिल हैं. बच्चों को स्कूल वापस से जोड़ना जरूरी है. कई योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है. वैसे बच्चे जो स्कूल में 100 दिन तक अब्सेंट रहते हैं, उनके परिवार को सरकारी योजनाओं से दूर करने एवं सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने की भी योजना है.