रिलायंस के बाद मार्केट कैप के हिसाब से एचडीएफसी भारत की दूसरे सबसे बड़ी कंपनी बन गई है.
नई दिल्ली : भारत का सबसे बड़ा निजी लेंडर एचडीएफसी बैंक लिमिटेड 15 लाख करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण को पार करने वाली दूसरी भारतीय कंपनी बन गई, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की श्रेणी में शामिल हो गई.
रिलायंस 17.5 लाख करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी हुई है. एचडीएफसी बैंक टीसीएस को पीछे छोड़ते हुए भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है.
एचडीएफसी बैंक भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों में से एक है, जिसकी स्थापना 1994 में हुई थी और इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है. प्रौद्योगिकी, ग्राहक सेवा और वित्तीय समावेशन पर अपने मजबूत फोकस के लिए जाना जाने वाला यह बैंक खुदरा बैंकिंग, थोक बैंकिंग, ऋण, क्रेडिट कार्ड, ट्रेजरी संचालन और डिजिटल बैंकिंग समाधान सहित सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला देता है.
वैसे, एचडीएफसी की शुरुआत 1991 में भारत के आर्थिक उदारीकरण के बाद हुई है. उस समय भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा था और सरकार ने सुधारों की एक सीरीज शुरू की थी, जिसका मुख्य विषय निजीकरण की ओर झुकाव था. सुधार के लिए आरबीआई अधिक निजी बैंकों को लाइसेंस देने पर विचार कर रहा था.
यह खबर सुनने के बाद हाउसिंग फाइनेंस की दिग्गज कंपनी एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख बहुत उत्सुक हो गए. उन्होंने अपना खुद का बैंक बनाने का फैसला किया और उन्होंने तुरंत आदित्य पुरी को सिटी बैंक के सीईओ पद से हटाकर नए एचडीएफसी बैंक को चलाने के लिए राजी कर लिया. बैंकरों की एक स्वप्निल टीम के साथ एचडीएफसी 1994 में अपनी शुरुआत करने के लिए तैयार था.
मर्जर ने एचडीएफसी को बना दिया बेताज ‘बादशाह’
एचडीएफसी (हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन) और एचडीएफसी बैंक का विलय 1 जुलाई, 2023 को ऑल-स्टॉक डील के रूप में हुआ. विलय के बाद एचडीएफसी की सभी सहायक और सहयोगी कंपनियां एचडीएफसी बैंक का हिस्सा बन गईं. इस मर्जर के बाद यह कहा जाने लगा कि इतना अधिक मार्केट कैप होने के बावजूद बैंका ग्रोथ कैसे होगा, यह बहुत बड़ी चुनौती होगी, लेकिन बैंक ने ऐसे समीक्षकों को भी जवाब दे दिया, और आज बैंक भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है.
मर्जर का उद्देश्य
विलय के पीछे का उद्देश्य दोनों संस्थाओं के बीच मौजूद महत्वपूर्ण पूरकताओं को एक साथ लाना और अलग-अलग शेयरधारकों के लिए सार्थक मूल्य बनाना था. विलय के बाद एचडीएफसी लिमिटेड एक अलग इकाई के रूप में अस्तित्व में नहीं रहा और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट और एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस एचडीएफसी बैंक की सहायक कंपनियां बन गईं.
मर्जर के बाद एचडीएफसी बैंक
जुलाई 2023 में एचडीएफसी बैंक का हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) में विलय हो गया. इस विलय का बैंक के प्रदर्शन और भविष्य की योजनाओं पर बड़ा असर पड़ा. विलय के बाद एचडीएफसी बैंक को बड़ी संख्या में लोन मिले, लेकिन उसे अपनी जमाराशि बढ़ाने में संघर्ष करना पड़ा. इसकी वजह से बैंक का लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो (एलडीआर) 110 फीसदी पर काफी ऊंचा हो गया, जिसका मतलब है कि वह ग्राहकों की जमाराशि से मिलने वाले पैसे की तुलना में अधिक लोन दे रहा था.
हां, बैंक के सामने कुछ चुनौतियां हैं. विलय के साथ ही उच्च लागत वाली उधारी भी आई है. सौदे के बाद कुल देनदारियों में उधारी का हिस्सा विलय से पहले के 8 फीसदी से बढ़कर विलय के बाद 21 फीसदी हो गया है. निवेशकों ने इस बारे में चिंता व्यक्त की है क्योंकि ब्याज दरें बढ़ गई हैं और लिक्विडिटी कम हो गई है.
बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन बताते हैं कि विलय के बाद हमने जो हासिल किया वह एक अच्छी तरह से मेल खाने वाली परिसंपत्ति और देयता पुस्तक थी. उधारी लंबी अवधि के फंड थे जो लंबी अवधि के बंधक लोन से जुड़े थे. ये उधारी बताई गई तिथियों से पहले वापस नहीं ली जा सकती हैं. जैसे-जैसे एचडीएफसी की उधारी समय के साथ परिपक्व होती जाएगी, इन्हें बैंक के कम लागत वाले ग्रेन्युलर रिटेल फंड से बदल दिया जाएगा.
सहायक कंपनियों में हिस्सेदारी और शेयरधारिता पैटर्न
एचडीएफसी बैंक के पास एचडीएफसी सिक्योरिटीज में 94.63 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके बाद एचबीडी फाइनेंशियल सर्विसेज में 94.54 फीसदी हिस्सेदारी, एचडीएफसी एएमसी में 52.48 फीसदी हिस्सेदारी, एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस में 50.48 फीसदी हिस्सेदारी और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में 50.32 फीसदी हिस्सेदारी है.
एचडीएफसी बैंक में कोई प्रमोटर हिस्सेदारी नहीं है. विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के पास 42.59 फीसदी, घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) के पास 29.92 फीसदी, सार्वजनिक निवेशक के पास 10.93 फीसदी और अन्य के पास 16.57 फीसदी हिस्सेदारी है.
बैंक में आए महत्वपूर्ण बदलाव पर क्या कहते हैं प्रबंध निदेशक
एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशिधर जगदीशन कहते है कि यह संक्रमण का दौर है, जिसके साथ हमें तालमेल बिठाना होगा। इसलिए, हमारा मुख्य आधार यह है कि एक कंपनी के रूप में 29 वर्षों से हम लगातार बॉटम लाइन ग्रोथ पर बने हुए हैं, जिसे आप प्रति शेयर आय या जो भी कह सकते हैं. आगे भी, हम इसे एक मुख्य आधार के रूप में लेंगे. इसलिए संक्रमण के कारण कई अन्य मीट्रिक हैं जिन्हें आप अनदेखा करना चाह सकते हैं, खासकर लोन बढ़ोतरी, और यह थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन यह ठीक है.
एचडीएफसी बैंक में हुए बदलाव
बैंक जिसका लोन मिश्रण लंबे समय तक खुदरा की ओर झुका हुआ था, कोविड-19 के दौरान थोक में बदल गया।.
एचडीएफसी बैंक के डिप्टी एमडी कैजाद भरुचा कहते हैं कि विलय ने रियल एस्टेट फाइनेंस बिजनेस के लिए नए अवसर खोले हैं क्योंकि बैंक इस सेगमेंट को बैंकिंग सेवा देने में सक्षम होगा.
मार्केट कैप के हिसाब से भारत की टॉप 10 कंपनियां
शॉर्ट-सेलर्स के हमले के बावजूद इस साल 1 जनवरी से 29 फरवरी के बीच इसके शेयर की कीमतों में 17.5 फीसदी की गिरावट आई, जिसके बाद बैंक ने रिकवरी करते हुए टीसीएस को पछाड़ दिया. बैंक अपनी ठोस प्रबंधन टीम और परिसंपत्तियों, लोन और अग्रिमों और मुनाफे में बढ़ोतरी के लगातार ट्रैक रिकॉर्ड की बदौलत स्थिर बनी हुई है.