ईडी ने वन भूमि घोटाले को लेकर झारखंड और बिहार के 15 ठिकानों पर छापा मारा है. लालपुर, कांके समेत राजधानी के कई इलाकों में छापेमापी जारी है.
रांची: ईडी ने एक बार फिर झारखंड में दबिश डाली है. प्रर्वतन निदेशालय की टीम ने मंगलवार की तड़के सुबह लालपुर, कांके और हटिया के विभिन्न इलाकों में कंसट्रक्शन कंपनी के दफ्तर और उससे जुड़े लोगों के आवास पर छापा मारा है. जानकारी के मुताबिक झारखंड और बिहार के कुल 15 ठिकानों पर यह रेड पड़ी है. वन भूमि घोटाला मामले को लेकर यह कार्रवाई की गयी है.
सीआईडी भी कर रही है वन भूमि घोटाले की जांच
ये मामला बोकारो के तेतुलिया मौजा स्थित करीब 100 एकड़ वन भूमि का है. जहां भू-माफियाओं ने सरकारी अफसरों के साथ मिलकर इस खेल को अंजाम दिया. हालांकि झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर मामले की जांच सीआईडी कर रही है. बोकारो वन प्रमंडल के प्रभारी वनपाल सह वनरक्षी रुद्र प्रताप सिंह की शिकायत पर धारा 406, 420, 467, 4680 471, 120बी/34 व 30(सी)/63 फॉरेस्ट एक्ट के तहत सेक्टर-12 थाना में 18 मार्च 2024 को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
क्या है मामला
बोकारो वन भूमि घोटाले का मामला वर्ष 2022 का है. जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने कई गड़बड़ियां कर एक कंपनी को वन विभाग की 74.38 एकड़ जमीन दे दी थी. यह धनबाद जिला प्रशासन के उस मामले से जुड़ा है, जिसमें साल 2013 में तेतुलिया मौजा के चास थाना के सर्वे प्लॉट नंबर- 426/450 की भूमि को जंगल साल (वन विभाग की भूमि) की जगह पुरानी परती के रूप में प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद जब महेंद्र कुमार मिश्र ने सीएनटी एक्ट की धारा-87 के तहत अपनी मात्र 10 डिसमिल जमीन के लिए बोकारो इस्पात परियोजना प्राधिकार भारत सरकार के खिलाफ वाद- 4330/2013 दायर किया, तो इसमें बोकारो जिला प्रशासन की इंट्री हुई. महेंद्र मिश्रा ने भले ही मामला दायर किया, लेकिन वर्ष 2014 के बाद उन्होंने खुद को किनारे कर लिया.प्रभात खबर ने ही किया था मामले का खुलासा