जमशेदपुर: पटमदा के पीएम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राएं दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर रोस्ट्रम में पाइप बैंड के साथ प्रदर्शन करेंगी. कस्तूरबा गांधी विद्यालय की शिक्षक ने बताया कि झारखंड को पहली बार यह मौका मिला है, जिसमें हमारे विद्यालय की छात्राएं पाइप बैंड बजाएगी. हमें काफी गर्व महसूस हो रहा है. इसके लिए हम पिछले दस साल से प्रयासरत थे.
ग्रामीण छात्राओं को मिला मौका
शिक्षक का कहना है कि झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. देश के विभिन्न क्षेत्र में यहां की युवा पीढ़ी अपनी पहचान बना रही है. इसी कड़ी में जमशेदपुर शहर से 50 किलोमीटर दूर पटमदा के बागुरंदा गांव मे स्थित पीएम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं का चयन गणतंत्र दिवस के दिन कर्तव्य पथ पर रोस्ट्रम में पाइप बैंड प्रदर्शन के लिए किया गया है.
गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शन के लिए तीन स्कूलों का चयन
बता दें कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस के लिए रोस्ट्रम और विजय चौक पर प्रदर्शन के लिए देश के सिर्फ तीन स्कूल का नाम चयनित किया गया है, जिसमें पटमदा पीएम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का नाम भी शामिल है. बैंड दो प्रकार के होते हैं पहला ब्रास बैंड और दूसरा पाइप बैंड, जिसे आर्मी में भी बजाया जाता है. जमशेदपुर के इस विद्यालय की छात्राएं पिछले दस साल से इस कला को सीख रही हैं. झारखंड स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग 2015 से गणतंत्र दिवस परेड में झारखंड के पाइप बैंड को शामिल करने के लिए प्रयासरत रहा है.
25 छात्राओं का समूह करेगा पाइप बैंड का प्रदर्शन
इधर, जिला स्तर, राज्य स्तर, जोनल स्तर पर पाइप बैंड कम्पटीशन में विजेता बनने के बाद जमशेदपुर पीएम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की 25 छात्राएं दिल्ली राष्ट्रीय स्तर प्रदर्शन करेंगी. उन्हें कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेशी मेहमान के समक्ष अपना पाइप बैंड बजाकर प्रदर्शन करने का मौका मिला है.
झारखंड को राष्ट्रीय स्तर पर यह पहला मौका मिला है और इस सपने को जमशेदपुर ग्रामीण इलाके की छात्राओं ने साकार किया है. पीएम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राएं अपनी वार्डन के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी हैं. इधर शिक्षक काफी खुश है कि गणतंत्र दिवस परेड में उनके विद्यालय की छात्राओं का पाइप बैंड का प्रदर्शन टीवी पर देखने को मिलेगा.
दस साल की कोशिश रंग लाई
शिक्षक क्वीन ठाकुर बताती हैं कि दस साल के प्रयास के बाद यह पहली बार मौका मिला है. चयनित सभी छात्राएं आस-पास गांव की रहने वाली हैं, जो यहां पढ़ाई करती हैं और रहती भी हैं. सभी के परिवार वाले किसान या मजदूरी करने वाले हैं. छात्राओं में पाइप बैंड बजाने की कला को सीखने में काफी रुझान था. टैलेंट गांव में भी है, सिर्फ जरुरत है उसे निखारने की. बहरहाल एक गांव की छात्राओं ने अपने अथक प्रयास और मेहनत से मंजिल तक पहुंचने का सफर तय किया है, जिससे विद्यालय के साथ झारखंड का भी नाम रौशन हुआ है.