Sunday, May 25, 2025

ओवररेटिंग से घर चला रहे दुकानकर्मी, 8 महीने में विभाग ने नहीं दी सैलरी

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रांची में शराब घोटाले के कारण उत्पाद विभाग सवालों के घेरे में है। जेएसबीसीएल और प्लेसमेंट एजेंसियों के विवाद में खुदरा दुकानकर्मी पिस रहे हैं क्योंकि उन्हें अक्टूबर 2024 से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने से वे ओवररेटिंग करने पर मजबूर हैं। एजेंसियों का जेएसबीसीएल पर लगभग 200 करोड़ रुपये बकाया है जबकि जेएसबीसीएल का दावा है कि एजेंसियों ने 50 करोड़ रुपये दबा लिए है

रांची। शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई, विभागीय अधिकारियों की गिरफ्तारी ने पूरे उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

विभाग में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। यही वजह है कि पद का दुरुपयोग कर नियम विरुद्ध जाकर मनचाहे प्लेसमेंट एजेंसी को काम देकर विभाग को राजस्व का नुकसान पहुंचाने के मामले में विभाग के पूर्व प्रधान सचिव सहित चार वरिष्ठ अधिकारियों व एक प्लेसमेंट एजेंसी के प्रतिनिधि को एसीबी ने जेल की हवा खिला दी है।

अब जो नई जानकारी सामने आई है, वह यह है कि झारखंड राज्य विबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) व प्लेसमेंट एजेंसियों के बीच हुए विवाद का सबसे अधिक नुकसान खुदरा शराब दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों को हो रहा है। इन दोनों के चक्कर में दुकानकर्मी पिस रहे हैं

उन्हें अक्टूबर 2024 के बाद से जेएसबीसीएल ने वेतन का भुगतान नहीं किया है। प्लेसमेंट एजेंसी संचालक हर माह अपने पास से कर्मचारियों के सिर्फ पीएफ मद का पैसा जमा कर रहे हैं। यानी करीब आठ महीने से बिना वेतन वे शराब की दुकानों को संचालित कर रहे हैं।

वेतन नहीं मिलने के चलते ही ये दुकानदार ओवररेटिंग कर आम लोगों की जेब काट रहे हैं। अवैध तरीके से ली गई इस राशि से उनका घर तो चल ही रहा है, कमीशन की राशि जिले के उत्पाद अधिकारियों से लेकर ऊपर तक पहुंच रहा है।

जेएसबीसीएल पर प्लेसमेंट एजेंसियों का भी करीब 200 करोड़ रुपये का बकाया

राज्य की शराब दुकानों में प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से कर्मचारी बहाल हुए हैं। उनके वेतन मद का पैसा जेएसबीसीएल प्लेसमेंट एजेंसी को देता है और तब प्लेसमेंट एजेंसी कर्मियों का भुगतान करती है।

बताया जा रहा है कि जेएसबीसीएल पर प्लेसमेंट एजेंसियों का भी करीब 200 करोड़ रुपये का बकाया है। एक आंकड़े के अनुसार रांची जिले में मैनपावर देने वाली प्लेसमेंट एजेंसी फ्रंटलाइन एनसीआर का विभाग पर करीब 55 करोड़ रुपये का बकाया है।

इसी तरह प्लेसमेंट एजेंसी आरके का करीब 60 करोड़, केएस का 22 करोड़, जय माता दी का करीब 22 करोड़ रुपये का बकाया है। इसी तरह वेबेल प्लेसमेंट एजेंसी तथा फर्जी बैंक गारंटी पर ठेका लेने वाली मार्शन व विजन का भी जेएसबीसीएल पर बकाया है।

दूसरी ओर जेएसबीसीएल का दावा है कि प्लेसमेंट एजेंसियों ने भी शराब बिक्री का करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक रुपये दबा लिया है, जो अब तक जेएसबीसीएल के खाते में जमा नहीं किया।

इस पूरे मामले में जेएसबीसीएल के महाप्रबंधक सह आयुक्त उत्पाद विजय कुमार सिन्हा से विभाग का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि वे पिछले डेढ़ महीने से प्रशिक्षण के सिलसिले में झारखंड से बाहर हैं।

वे 15 जून को लौटने के बाद ही कुछ बता पाएंगे। इसके बाद उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव मनोज कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उन्होंने इस संदर्भ में एसएमएस का भी जवाब नहीं दिया।

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